Kabir Das Jayanti 2025 :आज संत कबीर दास की जयंती है।इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें नमन करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा कि,सामाजिक समरसता के प्रति आजीवन समर्पित रहे संत कबीरदास जी को उनकी जयंती पर मेरा कोटि-कोटि नमन।उनके दोहों में जहां शब्दों की सरलता है,वहीं भावों की प्रगाढ़ता भी है।इसलिए आज भी भारतीय जनमानस पर उनका गहरा प्रभाव है। समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने में उनके योगदान को हमेशा श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा।
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CM योगी ने दी कबीरदास जी को श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत कबीर दास की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोशल मीडिया एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा कि… “गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागौं पांय। बलिहारी गुरु आपने, जिन गोबिंद दियो बताय॥“सद्भाव, भक्ति और सामाजिक जागरण के प्रतीक,महान संत कबीरदास जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन!उनके लिखे दोहे आज भी समाज को सत्य, करुणा और समानता का मार्ग दिखा रहे हैं।
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महान कवि संत कबीरदास जी की 627वीं जयंती
आपको बता दें कि,संत कबीर दास ना सिर्फ एक कवि थे बल्कि एक समाज सुधारक भी थे उनके दोहे आज भी समाज में अत्यधिक प्रासंगिक हैं।कबीरदास ने अपने दोहों के माध्यम से समाज को सुधारने की दिशा में संदेश दिए हैं उनका जन्म 1398 में उत्तर प्रदेश के बनारस में हुआ था हर साल कबीरदास जी की जयंती ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है इस साल उनकी 627वीं जयंती है।कबीरदास जी प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त थे उनका मानना था कि,जिस परमपिता परमेश्वर की खोज के लिए हम दर-दर भटकते रहते हैं दरअसल वह हमारे अंदर बसे होते हैं अज्ञानतावश हम उन्हें देख नहीं पाते हैं।
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संत कबीरदास के सुप्रसिद्ध दोहे
अपने इस लेख में हम आपको आज महान कवि एवं समाज सुधारक कबीरदास जी के ऐसे 5 दोहे बताएंगे जिनको पढ़कर आपको भी समाज में सुधार और खुद के जीवन में परिवर्तन करने की दिशा में एक प्रेरणा मिलेगी जिससे आपका जिंदगी को देखने का नजरिया बदल जाएगा।
- 1.
दुख में सुमिरन सब करें,सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे,तो दुख काहे को होय।। - 2.
गुरु गोविंद दोउ खड़े,काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपनो,गोविन्द दियो बताय।। - 3.
निंदक नियरे राखिए,आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी साबुन बिना,निर्मल करे सुभाय ।। - 4.
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।। - 5.
ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।।

