Kalkaji Result: दिल्ली की कालकाजी (Kalkaji) विधानसभा सीट पर इस बार कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री आतिशी (आम आदमी पार्टी) शुरुआती रुझानों में बीजेपी के उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी से पीछे चल रही हैं। कालकाजी सीट दिल्ली की सबसे हाईप्रोफाइल सीटों में से एक मानी जाती है, जहां पर आम आदमी पार्टी की सीएम प्रत्याशी आतिशी मैदान में हैं। वहीं, बीजेपी ने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भी इस सीट पर राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा को उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। पिछले तीन चुनावों से इस सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है और आतिशी इस सीट से दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं।
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चुनावी रुझान: कौन आगे और कौन पीछे

आतिशी (आम आदमी पार्टी) – पीछे
रमेश बिधूड़ी (भा.ज.पा.) – आगे
आलका लांबा (कांग्रेस) – तीसरे नंबर पर
2020 के चुनाव परिणाम
2020 के चुनाव परिणामों में कालकाजी (Kalkaji) विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार आतिशी ने 55,897 वोट हासिल किए थे, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार धर्मवीर सिंह को 44,504 वोट मिले थे। इस चुनाव में NOTA (None of the Above) को भी 551 वोट मिले थे। कुल मिलाकर सात उम्मीदवार इस सीट पर चुनावी मैदान में थे, और आतिशी ने बीजेपी के धर्मवीर सिंह को 11,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था।
- आतिशी (आम आदमी पार्टी) – 55,897 वोट
- धर्मवीर सिंह (भा.ज.पा.) – 44,504 वोट
- शिवानी चौपड़ा (कांग्रेस) – 4,965 वोट
2015 के चुनाव परिणाम में क्या था खास?

2015 के कालकाजी (Kalkaji) विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के अवतार सिंह ने 55,104 वोट प्राप्त कर बीजेपी के उम्मीदवार हरमीत सिंह कालकाजी को 19,769 वोटों से हराया था। हरमीत सिंह कालकाजी (भा.ज.पा.) को 35,335 वोट मिले थे, और अवतार सिंह ने इस सीट पर शानदार जीत हासिल की थी।
कालकाजी विधानसभा सीट का ऐतिहासिक महत्व
कालकाजी (Kalkaji) विधानसभा सीट का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है। इस क्षेत्र में स्थित मां कालका का मंदिर नवरात्रि के दौरान लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो इस सीट पर पहले कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला हुआ करता था, लेकिन 2015 के बाद यह सीट आम आदमी पार्टी के कब्जे में आ गई।
कांग्रेस और बीजेपी के मुकाबले के बाद आम आदमी पार्टी का वर्चस्व

कालकाजी (Kalkaji) विधानसभा सीट पर राजनीतिक परिपेक्ष्य में भी कई बदलाव आए हैं। 1993 के पहले चुनाव में बीजेपी की पूर्णमा सेठी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी, इसके बाद 1998 से 2013 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुभाष चोपड़ा इस सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि, 2015 के बाद से आम आदमी पार्टी ने इस सीट को लगातार जीतने में सफलता हासिल की है। यह सीट अब केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो दिल्ली की राजनीति में विशेष स्थान रखती है।
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