Kangana Political Statement : मंडी से सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत का एक हालिया इंटरव्यू चर्चा में है जिसमें उन्होंने राजनीति में आने के बाद सामने आई चुनौतियों और अपनी अपेक्षाओं को लेकर खुलकर बात की। कंगना ने कहा कि जब उन्हें सांसद बनने का प्रस्ताव दिया गया, तो उनसे कहा गया था कि उन्हें साल में केवल 60-70 दिन ही काम करना होगा, बाकी समय वे अपनी अन्य गतिविधियों में लगा सकती हैं। लेकिन अब उन्हें एहसास हुआ है कि यह जिम्मेदारी उससे कहीं अधिक जटिल और गंभीर है।
विकास कार्यों में अड़चनों की भी बात कही
अपने अनुभव साझा करते हुए कंगना ने कहा कि उन्हें राजनीति इतनी चुनौतीपूर्ण लगेगी, इसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। उन्होंने बताया कि सांसद बनने के बाद स्थानीय विकास कार्यों में उन्हें कई बार ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ा जिनका हल सीधे तौर पर उनके पास नहीं था। उन्होंने कहा, “हम केवल राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक सेतु हैं, न कि हर समस्या का समाधानकर्ता।”कंगना ने यह भी स्वीकार किया कि संसद सदस्य बनने के बाद उनका फिल्मी करियर प्रभावित हुआ है। अब तक उनकी केवल एक फिल्म ‘इमरजेंसी’ रिलीज़ हुई है, जिसका अधिकतर काम जुलाई 2023 से पहले ही पूरा हो गया था। हालांकि बॉलीवुड गलियारों में अफवाहें हैं कि कंगना जल्द ही हॉलीवुड में अपना डेब्यू कर सकती हैं।
राजनीतिक बयान पर बढ़ा विवाद
कंगना के इस बयान के बाद हिमाचल प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यदि कंगना अपने सांसद पद से इतनी असंतुष्ट हैं, तो उन्हें तत्काल इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। नेगी ने यह टिप्पणी मंडी के बाढ़ प्रभावित इलाकों के दौरे के दौरान की और कहा कि ऐसी आपदा के समय राज्य को केंद्र से सहयोग की ज़रूरत होती है। उन्होंने संकेत दिया कि ऐसे समय में सांसद की सक्रिय भूमिका ज़रूरी है।
कंगना रनौत का यह बयान अब कई स्तरों पर चर्चा का विषय बन गया है – क्या वे राजनीति में टिकेंगी? क्या यह सिर्फ़ अस्थायी असहजता है या सचमुच वे सांसद की जिम्मेदारियों से असंतुष्ट हैं? उनका यह कहना कि उन्हें साल में सीमित दिन काम करने की बात कही गई थी, न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि आम जनता में भी सवाल खड़े कर रहा है कि क्या राजनीति को उन्होंने कम गंभीरता से लिया?
कंगना रनौत का बयान
कंगना रनौत का राजनीति को लेकर यह बयान उनके करियर के इस नए अध्याय को लेकर गंभीर बहस को जन्म दे रहा है। जहां वे अपने अनुभवों के आधार पर ईमानदारी से अपनी चुनौतियां साझा कर रही हैं, वहीं राजनीतिक विरोधियों को उनके बयान में असंवेदनशीलता और गैर-जिम्मेदारी नजर आ रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कंगना अपने आगामी कार्यकाल में इस भूमिका को किस तरह संभालती हैं – और क्या वे अपने बयान को वापस लेकर कोई स्पष्टीकरण देती हैं या भविष्य में सक्रिय राजनीति से दूरी बनाती हैं।
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