Kanwar Yatra 2025: समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने मुजफ्फरनगर के एक होटल में कर्मचारियों की पहचान के लिए उनकी पैंट उतरवाए जाने की घटना की तुलना पहलगाम के आतंकियों से करते हुए विवादित बयान दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी कि उनका बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। एसटी हसन ने कहा कि नेमप्लेट पर सरकार के आदेश से उन्हें आपत्ति नहीं है, परन्तु जो घटना मुजफ्फरनगर में हुई, उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और उचित कार्रवाई भी की जाए।
“जनता को नहीं है अधिकार, ये काम प्रशासन का”
एसटी हसन ने कहा कि कोई एक व्यक्ति अपने साथ चार लोगों को लेकर दुकानों में चेकिंग कर रहा है, उसे यह अधिकार किसने दिया? अगर जनता खुद नियम लागू करने लगेगी, तो इससे समाज में हिंदू-मुस्लिम के बीच की खाई और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कानून का पालन जरूरी है लेकिन उसे लागू करने की जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की है, न कि आम लोगों की।
“इस्लाम धोखे से व्यापार की इजाजत नहीं देता”
पूर्व सांसद ने कहा कि व्यापार में पारदर्शिता होनी चाहिए, नाम छुपाकर कारोबार करना उचित नहीं है। इस्लाम में भी धोखे से व्यापार की मनाही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि थोड़े से वोट के लिए ऐसा माहौल नहीं बनाया जाना चाहिए जिससे देश में लोगों के बीच दूरियां और ज्यादा बढ़ें।
इमरान मसूद ने भी साधा निशाना
आपको बता दे कि, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी नेमप्लेट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह देश मोहब्बत का है, नफरत का नहीं। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान मुसलमान भी सेवा करते हैं, लेकिन कुछ लोगों को इससे भी परेशानी होती है। इमरान मसूद ने आरोप लगाया कि साझा विरासत को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
इमरान मसूद ने कहा कि पिछली बार भी ऐसे प्रयास किए गए थे लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया। इस बार भी ऐसा ही होगा। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा शांति और सौहार्द के साथ सम्पन्न होनी चाहिए और इस प्रकार के मामलों को सनसनीखेज बनाना उचित नहीं।
कांवड़ यात्रा पर योगी सरकार के सख्त आदेश
योगी आदित्यनाथ सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर साफ-सफाई और खाद्य सुरक्षा के लिए सख्त आदेश दिए हैं। इसी के साथ कांवड़ यात्रा मार्ग पर खुले में मांस बिक्री नहीं की जा सकेगी. साथ ही दुकानों और ढाबों पर मालिक का नाम, पता और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है।
उत्तराखंड में भी लागू हुआ आदेश
धामी सरकार ने भी उत्तराखंड में आदेश जारी किया है कि खाने-पीने की दुकानों पर मालिक की जानकारी अनिवार्य रूप से प्रदर्शित हो। साथ ही खुले में मांस बिक्री, ओवररेटिंग और बिना लाइसेंस दुकानों पर सख्ती की जाएगी। लाइसेंस और पहचान पत्र के बिना दुकानें नहीं चलेंगी। उल्लंघन करने वालों पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
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