Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व को लेकर राज्य की कांग्रेस इकाई के भीतर चल रहा विवाद अब और गहरा गया है। एक ओर विधायक लगातार दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का गुट सत्ता परिवर्तन की मांग पर डटा हुआ है। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने लंबे समय से उनसे संपर्क साधने की कोशिश कर रहे शिवकुमार को एक संक्षिप्त संदेश भेजकर मामले को और सनसनीखेज बना दिया है।
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राहुल गांधी का WhatsApp मैसेज
बताते चले कि, कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार पिछले एक हफ्ते से कांग्रेस आलाकमान और विशेष रूप से राहुल गांधी से बात करने की कोशिश कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने आखिरकार शिवकुमार को एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण WhatsApp मैसेज भेजकर जवाब दिया है। इस मैसेज में उन्होंने लिखा है, “प्लीज इंतजार करिए, मैं आपको कॉल करता हूं।”
यह संदेश ऐसे समय में आया है जब पार्टी आलाकमान से उम्मीद की जा रही है कि वह 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसदीय सत्र से पहले मुख्यमंत्री पद पर बदलाव को लेकर कोई अंतिम फैसला लेगा। राहुल गांधी का यह जवाब दिखाता है कि पार्टी नेतृत्व इस आंतरिक कलह पर विचार कर रहा है, लेकिन अभी अंतिम निर्णय लेने से पहले और समय चाहता है।
डीके शिवकुमार की दिल्ली यात्रा की तैयारी
आलाकमान के संदेश के बावजूद, डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद पर बदलाव के घटनाक्रम के बीच 29 नवंबर को दिल्ली आने की पूरी तैयारी कर ली है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने उसी दिन दिल्ली लौट रहीं पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है।
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस जटिल कर्नाटक मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी ली है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी से गहन चर्चा के बाद ही इस मुद्दे का संतोषजनक समाधान निकालेंगे। खरगे का बयान दर्शाता है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब इस सियासी उथल-पुथल को शांत करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है।
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विधायकों का दिल्ली मार्च
पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक में नेतृत्व बदलाव को लेकर सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। कर्नाटक के विधायक लगातार दिल्ली आ-जा रहे हैं, जो आलाकमान पर दबाव बनाने की कवायद है। पिछले हफ्ते, 10 विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी।
इसके अलावा, सूत्रों का दावा है कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार गुट के 6 विधायकों का एक छोटा दल भी तीन दिन पहले पार्टी आलाकमान से मिलने दिल्ली आया था। कुछ और विधायकों के भी राजधानी आने की उम्मीद है। यह दिल्ली मार्च स्पष्ट रूप से दिखाता है कि नेतृत्व की खींचतान अब केवल राज्य तक सीमित नहीं रही है, बल्कि यह सीधे केंद्रीय नेतृत्व के सामने आ गई है।
2.5 साल के कार्यकाल की रोटेशन व्यवस्था से इनकार
इस पूरे घटनाक्रम का मूल कारण मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई-ढाई साल के कथित सत्ता साझेदारी समझौते से जुड़ा हुआ है। कर्नाटक में पिछले हफ्ते, 20 नवंबर को, सिद्धारमैया सरकार के 5 साल के कार्यकाल के पहले ढाई साल पूरे हो चुके हैं। इसके बाद से ही नेतृत्व बदलाव की चर्चाएं और मांगें तेज हो गईं।
हालांकि, सिद्धारमैया के गुट की ओर से रोटेशनल अरेंजमेंट (बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनने) के किसी भी फॉर्मल समझौते से साफ इनकार किया गया है। उनके समर्थकों का कहना है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। यह समझौते का खंडन उस समय की याद दिलाता है जब 2023 में सत्ता वापसी के दौरान मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों नेताओं के बीच लंबी खींचतान के बाद आलाकमान ने सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगाई थी, लेकिन सत्ता साझेदारी के दावे को कभी भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया गया।
