RSS High Court Relief: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को कर्नाटक हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर 10 से अधिक लोगों के एकत्र होने के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य करने की बात कही गई थी। इस आदेश को RSS और कुछ अन्य संगठनों ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने आदेश पर अंतरिम रोक लगाई
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले में सरकार को नोटिस जारी किया है और इस पर जवाब देने के लिए समय मांगा है। कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सर्वोपरि है और ऐसे आदेश नागरिकों के अधिकारों पर असंगत प्रभाव डाल सकते हैं।
हुबली स्थित पुनश्चित सेवा संस्था ने इस याचिका को दायर किया था। याचिकाकर्ता का दावा था कि सरकार का यह आदेश जनसामान्य के मूलभूत अधिकारों, जैसे कि संघटक स्वतंत्रता और सभा की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। संगठन ने यह भी तर्क दिया कि सार्वजनिक स्थलों पर पूर्व अनुमति की शर्त अनावश्यक रूप से लोगों की आवाज उठाने और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने की स्वतंत्रता को सीमित कर सकती है।
सरकार को झटका
इस अंतरिम राहत के बाद सिद्धारमैया सरकार को बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार ने इस आदेश को लागू करते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की थी कि सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण में रहे और COVID-19 जैसी परिस्थितियों में संक्रमण फैलने से रोका जा सके। हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे अत्यधिक नियंत्रण बताते हुए रोक लगा दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले का निर्णय राज्य सरकार और संगठनों के बीच अधिकारों और नियंत्रण की सीमा को लेकर एक महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है। अदालत का यह कदम समाज में विचार-विमर्श की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है।
अब क्या होगा?
अंतरिम राहत मिलने के बाद RSS और अन्य याचिकाकर्ता अब बिना किसी पूर्व अनुमति के सार्वजनिक स्थानों पर 10 से अधिक लोगों के एकत्र होने की गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं। सरकार को अब कोर्ट में अपने पक्ष को मजबूत करना होगा और यह स्पष्ट करना होगा कि ऐसा आदेश क्यों आवश्यक था।
हाईकोर्ट की यह अंतरिम राहत सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है, क्योंकि इससे संगठन और नागरिक अपनी सभाओं और कार्यक्रमों में आसानी से हिस्सा ले सकेंगे। RSS को मिली यह राहत नागरिक अधिकारों की जीत मानी जा रही है और राज्य सरकार के लिए चुनौती पेश करती है कि वह अपने आदेशों और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए। आगे आने वाले हफ्तों में कोर्ट में इस मामले की विस्तृत सुनवाई होने वाली है, जो भविष्य में राज्य सरकारों के आदेशों की सीमा तय करने में मार्गदर्शन करेगी।
