Kashmir Issue Pakistan: कश्मीर पर पाकिस्तान की फिर कोशिश, अमेरिका समेत किसी भी देश की मध्यस्थता के लिए तैयार

Chandan Das
shahbaz sharif
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Kashmir Issue Pakistan: कश्मीर विवाद को लेकर पाकिस्तान ने शुक्रवार को एक बार फिर विवादित बयान दिया है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि कश्मीर मसले के समाधान के लिए वे अमेरिका समेत किसी भी देश की मध्यस्थता स्वीकार करने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के लिए कश्मीर विवाद को सुलझाने को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मानता है।

पाकिस्तान की अमेरिका सहित किसी भी देश की मध्यस्थता की बात

शफकत अली खान ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा,”पाकिस्तान न केवल अमेरिका से, बल्कि किसी भी देश से मदद लेने के लिए तैयार है जो कश्मीर विवाद को सुलझाने और क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने में योगदान दे सके।” उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए चार दिवसीय संघर्ष के बाद से किसी भी तरह की बातचीत या संपर्क बंद है। खान ने यह भी कहा कि अमेरिका की रुचि का स्वागत है, लेकिन इस मुद्दे पर भारत को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।

भारत का स्पष्ट रुख: तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं

भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि कश्मीर विवाद का समाधान द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही होगा। भारत ने शिमला समझौते (1972) में भी इस बात पर सहमति जताई थी कि दोनों देशों के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं होनी चाहिए। भारत की ओर से यह भी कहा गया है कि वह पाकिस्तान से केवल आतंकवाद खत्म करने और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा। विदेश मंत्रालय ने बार-बार कहा है कि कश्मीर पर किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा और यह विषय पूरी तरह भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित है।

मई संघर्ष के बाद संपर्क ठप

मई में भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चले हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर संपर्क बेहद सीमित हो गया है। फिलहाल, केवल जरूरी स्तर पर राजनयिक संवाद जारी है, लेकिन कोई सक्रिय वार्ता नहीं हो रही। पाकिस्तान की ओर से इस स्थिति को बदलने के लिए अमेरिका या किसी अन्य शक्तिशाली देश की मध्यस्थता का प्रस्ताव अब तक भारत के सामने नहीं रखा गया है।

आतंकवाद, अफवाहों और यूक्रेन विवाद पर पाकिस्तान की सफाई

शफकत अली खान ने अपने बयान में खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकवाद की समस्या पर भी बात की। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से फैल रहा आतंकवाद एक गंभीर मुद्दा है, जिसे कई बार उठाया जा चुका है। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिका के साथ खनिज निकालने के लिए गुप्त समझौते की खबरों को खारिज किया। यूक्रेन के युद्ध में पाकिस्तानी नागरिकों की संलिप्तता के आरोपों को भी उन्होंने “बेबुनियाद” बताया। खान ने यह साफ किया कि यूक्रेन की ओर से पाकिस्तान से इस मामले में कोई औपचारिक संपर्क नहीं हुआ है।

पाकिस्तान द्वारा अमेरिका सहित किसी भी देश की मध्यस्थता की पेशकश के बावजूद भारत का रुख स्पष्ट है कि कश्मीर विवाद केवल द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा। दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की संभावना फिलहाल दूर नजर आती है। साथ ही, आतंकवाद और अन्य आरोपों को लेकर दोनों पक्षों में आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं।

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