Katra Landslide News: जम्मू-कश्मीर के कटरा में स्थित प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर के पास मंगलवार (26 अगस्त) दोपहर लगभग 3 बजे भयानक भूस्खलन हुआ। यह घटना अर्धकुंवारी के पास इंद्रप्रस्थ भोजनालय के नजदीक हुई। भारी बारिश के चलते अचानक हुए इस भूस्खलन में अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है।शुरुआती जानकारी के अनुसार, घटना के तुरंत बाद 8 लोगों की मौत की खबर आई थी और लगभग 20 लोग घायल बताए जा रहे थे। हालांकि, समय बीतने के साथ मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई। एसएसपी रियासी परमवीर सिंह ने अगले दिन मृतकों की संख्या 30 तक पहुंचने की पुष्टि की।
राहत और बचाव अभियान में जुटी टीमें

भूस्खलन की घटना के बाद बचाव अभियान तेजी से शुरू कर दिया गया। भारतीय सेना, सीआरपीएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस राहत कार्य में दिन-रात जुटी हैं। मलबे में और भी लोगों के दबे होने की आशंका है, इसलिए खोज और बचाव कार्य पूरी ताकत से जारी है।राहत कार्य में लगे जवानों ने लोगों को मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचाया। हेलीकॉप्टर के ज़रिये भी रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया, जिसमें सीआरपीएफ के 22 जवान, 3 स्थानीय नागरिक और एक खोजी कुत्ता सुरक्षित निकाले गए।
वैष्णो देवी यात्रा पर रोक, यातायात ठप
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण माता वैष्णो देवी की यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है। रास्तों में मलबा और टूटे हुए पुलों के चलते यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया।अब तक तीन पुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें कठुआ में रावी पुल का हिस्सा बह जाने की खबर भी शामिल है। इसके अलावा जम्मू-पठानकोट नेशनल हाईवे पर भी यातायात पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे क्षेत्र में अफरातफरी का माहौल है।
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5000 लोगों का किया गया रेस्क्यू
जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर रमेश कुमार के अनुसार, अब तक 5000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। चिनाब नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और इसके आसपास के इलाकों में भी कई लोग फंसे हुए हैं। सेना की मदद से उन्हें निकालने का कार्य जारी है।रातभर कहीं से बादल फटने की खबर नहीं मिली, लेकिन प्रशासन पूरी तरह अलर्ट पर है।
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संचार सेवाएं ठप, मुश्किल में संपर्क
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बताया कि इस आपदा के चलते संचार सेवाएं पूरी तरह प्रभावित हो गई हैं। मोबाइल नेटवर्क बहुत कमजोर है और फिक्स्ड लाइन वाई-फाई काम नहीं कर रहा। इंटरनेट की स्पीड इतनी कम है कि ऐप्स खुल नहीं रहे, और WhatsApp पर सिर्फ छोटे टेक्स्ट मैसेज ही भेजे जा पा रहे हैं।उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि साल 2014 और 2019 की आपदाओं के बाद पहली बार ऐसा भयानक डिजिटल डिस्कनेक्ट महसूस हो रहा है।
