Kenya Protests : सरकार विरोधी प्रदर्शनों की आग में जल रहा केन्या, पुलिस फायरिंग में 11 की मौत

Chandan Das

Kenya Protests  : पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या इस समय बड़े राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। देशभर में राष्ट्रपति विलियम रुटो की सरकार के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। देखते- देखते ही यह प्रदर्शन हिंसक हो गए, जब पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव में 11 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों को गिरफ्तार कर लिया गया।

8 जुलाई को फिर सड़कों पर उतरे लोग

8 जुलाई का दिन केन्या के लिए ऐतिहासिक है। इसी दिन वर्ष 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति डैनियल अराप मोई के तानाशाही शासन के खिलाफ व्यापक आंदोलन शुरू हुआ था। उस संघर्ष की याद में हर साल इस दिन जनसभाएँ होती हैं। लेकिन इस बार लोगों ने सिर्फ अतीत को याद नहीं किया, बल्कि वर्तमान सरकार के खिलाफ नाराज़गी जताते हुए राष्ट्रपति रुटो के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए।

राजधानी नैरोबी बना हिंसा का केंद्र

राजधानी नैरोबी में सोमवार को हालात सबसे ज्यादा बिगड़े। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति रुटो के इस्तीफे की मांग लेकर सड़कों पर उतरे। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पहले आँसू गैस और पानी की बौछारें कीं, लेकिन जब भीड़ नहीं रुकी तो कथित तौर पर गोलीबारी की गई। इस गोलीबारी में 11 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। वहीं पुलिस का दावा है कि प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पों में 52 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

पहले भी हुई थी हिंसा

यह पहला मौका नहीं है जब केन्या में सरकार विरोधी प्रदर्शन जानलेवा साबित हुए हैं। इससे पहले 25 जून को भी महंगाई और करों के बोझ के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। उस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में करीब 60 लोगों की मौत हुई थी।

आर्थिक संकट से जूझ रहा देश

राष्ट्रपति रुटो की सरकार इस समय आर्थिक संकट से जूझ रही है। बढ़ती महंगाई और नए करों ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। लोग सरकार पर भ्रष्टाचार और जनविरोधी नीतियों का आरोप लगा रहे हैं। यही वजह है कि जनता का आक्रोश अब खुलकर सड़कों पर दिखने लगा है। सोमवार का प्रदर्शन इस गुस्से का ही नतीजा था, जिसमें हजारों लोग देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध दर्ज कराने के लिए निकल पड़े।

आगे और हिंसा की आशंका

केन्या में जिस तरह से हालात बिगड़ते जा रहे हैं, उससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में सरकार के लिए चुनौती और बढ़ सकती है। प्रदर्शनकारी झुकने को तैयार नहीं हैं और रुटो सरकार पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यदि जल्द हालात नहीं सुधरे, तो देश में राजनीतिक अस्थिरता और गहराने की आशंका है।

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