Khairul Haq Arrest: ढाका में पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक गिरफ्तार, तीन मामलों में दर्ज हैं आरोप

Chandan Das

Khairul Haq Arrest : बांग्लादेश में हसीना के ‘करीबी’ पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक अब ढाका पुलिस के शिकंजे में हैं। उन्हें गुरुवार सुबह ढाका के धानमंडी से गिरफ्तार किया गया। बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार उनके खिलाफ तीन मामले दर्ज हैं।उन्हें फिलहाल राजधानी के मिंटो रोड स्थित खुफिया विभाग के दफ्तर  में रखा गया है। जहां उनसे पूछताछ जारी है। हसीना सरकार में बढ़ा था दबदबा बनाए गए थे । खैरुल हक सितंबर 2010 में बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद, 2013 में शेख हसीना की सरकार के दौरान उन्हें विधि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल कई बार बढ़ाया गया जिससे वे सरकार के बेहद करीबी माने जाने लगे। इसी नजदीकी को लेकर विपक्षी पार्टियों ने पहले भी सवाल उठाए थे।

हसीना सरकार के पतन के बाद से थे गायब

सूत्रों के अनुसार अगस्त 2024 में हसीना सरकार के पतन के बाद से ही खैरुल हक निगाहों से ओझल हो गए थे। उनकी गिरफ्तारी की मांग बीएनपी पार्टी लंबे समय से कर रही थी। सवाल उठाया जा रहा था कि उनके खिलाफ केस दर्ज होने के बावजूद उन्हें क्यों नहीं पकड़ा गया। आखिरकार करीब एक साल बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

मुख्य न्यायाधीश रहते लिए थे कई ऐतिहासिक फैसले

खैरुल हक ने अपने कार्यकाल में कई अहम और विवादित फैसला सुनाए थे। उन्हों ने कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था को समाप्त करने वाला ऐतिहासिक फैसला दिया था। इसके अलावा शेख मुजीबुर रहमान हत्याकांड में भी उन्होंने ही फैसला सुनाया था। जिससे देश की राजनीति में एक नया मोड़ माना गया ।

फतवों को अवैध घोषित करने और जियाउर रहमान पर विवादित टिप्पणियां उन्होंने यह भी कहा था कि जियाउर रहमान बांग्लादेश की स्वतंत्रता के उद्धोषक नहीं थे। जिससे राजनीतिक हलकों में भारी बबाल मचा था। इसके अतिरिक्त उन्होंने फतवों को अवैध करार देने वाला फैसला भी दिया था, जिससे धार्मिक संगठनों में नाराज़गी देखी गई थी। उनके फैसलों ने उन्हें एक विवादित लेकिन प्रभावशाली न्यायिक शख्सियत बना दिया था।

अब क्या होगा अगला कदम?

अब जबकि खैरुल हक पुलिस हिरासत में हैं तो यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में बढ़ती है। यह गिरफ्तारी बांग्लादेश की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर सकती है खासकर जब देश की सत्ता बदल चुकी है और पुरानी सरकार के करीबियों पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है।

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