मलमास, जिसे ‘खरमास’ भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक विशेष मास होता है, जो इस वर्ष 14 मार्च से 13 अप्रैल तक रहेगा। खरमास का समय विशेष रूप से शुभ कार्यों के लिए निषेध माना जाता है। आमतौर पर इस समय में विवाह, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इस बार मलमास 14 मार्च को संक्रांति रात्रि 8:54 से शुरू हो रहा है, जो खासतौर पर इस अवधि में शुभ कार्यों पर रोक का कारण बनता है।
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कैसे लगता है खरमास?
मलमास का समय हर वर्ष संक्रांति के बाद आता है, जब सूर्य का मार्ग परिवर्तन होता है। इस समय में सूर्य अपनी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, और यह परिवर्तन कुछ खास ज्योतिषीय कारणों से शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। इस समय में सभी ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है, जिससे वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इस कारण इस समय को शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना गया है।

धार्मिक और मांगलिक कार्यों पर पाबंदी
मलमास के दौरान, शादी, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत जैसे धार्मिक और मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में किए गए शुभ कार्यों से अपेक्षित लाभ नहीं मिलता। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि इस समय में पूजा और व्रतों के जरिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया जा सकता है।
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खरमास के दौरान किन भगवान की करें आराधना
मलमास या खरमास के दौरान खासतौर पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु इस दौरान विशेष रूप से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। अतः इस समय में भगवान विष्णु की उपासना और प्रार्थना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। लोग इस दौरान विशेष रूप से ‘पद्मनाभ’ मंत्र का जाप करते हैं और भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं।

दान-पुण्य मना जाता है शुभ
इस समय में विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश या भूमि पूजन न करें, बल्कि यह समय ईश्वर की उपासना और व्रतों के लिए उपयुक्त होता है। इसके अलावा, मलमास के दौरान दान-पुण्य करना भी शुभ माना जाता है। दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति का जीवन संतुलित और खुशहाल रहता है।
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कब से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
13 अप्रैल को मलमास समाप्त होगा, और इसके बाद 13 अप्रैल से ही नए मांगलिक कार्य शुरू हो सकते हैं। इस दिन अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में सूर्य की संक्रांति के साथ शुभ समय की शुरुआत होती है। यह समय विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ होता है।