Kharmas 2025: सनातन धर्म में खरमास को एक विशेष महत्व प्राप्त है। यह समय भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा का है, जिसमें साधक विशेष ध्यान और भक्ति के साथ उपासना करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस समय किए गए साधन से जीवन में सुख, सौभाग्य और खुशियों की प्राप्ति होती है। खरमास का यह समय विशेष रूप से आत्मिक शांति और समृद्धि की प्राप्ति का मार्ग होता है।
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खरमास में शुभ कार्यों पर रोक

खरमास के दौरान धार्मिक और मांगलिक कार्यों, जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि को रोकने का विधान है। इसके अलावा, इस समय गाड़ी और घर खरीदने से भी बचना चाहिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है? आइए जानें इसके पीछे का कारण।
ज्योतिष गणना और मीन संक्रांति
ज्योतिष गणना के अनुसार, जब सूर्य देव अपनी चाल बदलते हुए मीन राशि में गोचर करते हैं, तो मीन संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से खरमास की शुरुआत होती है, जो इस बार 14 मार्च से शुरू हो रहा है और 14 अप्रैल को समाप्त होगा। इस समय के दौरान सूर्य देव की ऊर्जा बदल जाती है, जिसके कारण इस अवधि में शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है।
खरमास में शुभ कार्यों से जुड़ा ज्योतिषीय कारण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव एक महीने बाद अपनी राशि बदलते हैं। जब सूर्य देव मीन या धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो गुरु ग्रह की शक्तियों में कमी आ जाती है। गुरु ग्रह को भाग्य का कारक माना जाता है, और इस समय अगर कोई शुभ या मांगलिक कार्य किया जाता है तो उसका सकारात्मक फल प्राप्त नहीं होता है। इसी कारण से खरमास के दौरान शुभ कार्यों पर रोक होती है।
खरमास में पूजा और व्रत का महत्व

खरमास के दौरान विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। इस समय रोजाना जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। फिर एक तांबे के लोटे में जल, लाल फूल और रोली मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करें। इस दौरान सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना और जीवन में सुख-शांति की कामना करना बहुत लाभकारी माना जाता है। इसके साथ ही अन्न, धन और वस्त्रों का दान गरीबों को देना भी पुण्यकारी कार्य होता है।
खरमास के दौरान दान और पुण्य का महत्व

खरमास के समय दान का विशेष महत्व होता है। इस समय जो व्यक्ति गरीबों को अन्न, धन और वस्त्रों का दान करता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। दान करने से जीवन में समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो आगे चलकर व्यक्ति की प्रगति और सुख-शांति का कारण बनता है।
खरमास का यह समय आत्मिक साधना और पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दौरान शुभ कार्यों से बचने और सूर्य देव की उपासना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह समय विशेष रूप से ध्यान और साधना का है, जो व्यक्ति की मानसिक और आत्मिक स्थिति को सकारात्मक दिशा में मोड़ता है।
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