Baba Khatushyam Mandir: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटूश्याम मंदिर देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। अगर आप सितंबर महीने के पहले हफ्ते में बाबा श्याम के दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष कारणों के चलते दर्शन व्यवस्था में बदलाव किया गया है।
43 घंटे तक बंद रहेंगे मंदिर के द्वार

मंदिर प्रबंधन समिति के मंत्री ने जानकारी दी है कि आगामी 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण और 8 सितंबर को बाबा श्याम का तिलक महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इन धार्मिक और ज्योतिषीय कारणों के चलते मंदिर को शुद्धिकरण और अनुष्ठानों के लिए अस्थायी रूप से बंद किया जाएगा। इसके तहत 6 सितंबर रात 10 बजे से 8 सितंबर शाम 5 बजे तक, पूरे 43 घंटे तक मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेंगे। इस अवधि में कोई भी दर्शन संभव नहीं होगा।
सितंबर में क्यों होता है मंदिर बंद?
खाटूश्यामजी मंदिर में विशेष पर्व और तिथियों पर परंपरागत धार्मिक आयोजन होते हैं। तिलक महोत्सव बाबा श्याम की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके तहत मंदिर में विशेष श्रृंगार और पूजा-पाठ किया जाता है। साथ ही, चंद्र ग्रहण जैसे अवसरों पर हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस बार दोनों आयोजन एक साथ पड़ने के कारण मंदिर को दो दिन के लिए बंद रखने का निर्णय लिया गया है।
भक्तों से मंदिर समिति की अपील
मंदिर प्रशासन ने देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अपनी यात्रा की योजना इस निर्णय को ध्यान में रखकर बनाएं। खासकर जो भक्त 6 से 8 सितंबर के बीच खाटूश्याम जी के दर्शन की योजना बना रहे हैं, वे बुकिंग या यात्रा कार्यक्रम में बदलाव करें ताकि उन्हें निराशा का सामना न करना पड़े। 8 सितंबर शाम 5 बजे के बाद से मंदिर में फिर से सामान्य दर्शन की व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
तिलक महोत्सव के बाद भव्य आयोजन
8 सितंबर को तिलक महोत्सव के उपलक्ष्य में मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाएगा। इसके साथ ही भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु एक खास आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकें। इस दिन दर्शन करने आने वाले भक्तों को विशेष माहौल में बाबा श्याम के दर्शन का अवसर मिलेगा।
खाटूश्याम मंदिर की मान्यता
खाटूश्याम मंदिर को लेकर मान्यता है कि महाभारत काल में वीर बर्बरीक ने श्रीकृष्ण को अपना सिर दान किया था। इस बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था कि कलियुग में वे श्याम रूप में पूजे जाएंगे। तभी से बाबा श्याम के प्रति आस्था दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन को आते हैं।
भक्तों के लिए सुझाव
यात्रा से पहले मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या सोशल मीडिया पर अपडेट जरूर देखें।
6 से 8 सितंबर के बीच दर्शन की योजना न बनाएं।
8 सितंबर शाम 5 बजे के बाद मंदिर खुलने के बाद आएं।
तिलक महोत्सव के बाद के आयोजनों का लाभ लें और आध्यात्मिक वातावरण का आनंद उठाएं।

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