Kisan MahaPanchayat: दिल्ली के जंतर मंतर पर एक बार फिर से किसान जुटने लगे है. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बुलाई गई किसान महापंचायत में देशभर के किसान हिस्सा ले रहे है. इस महापंचायत में एमएसपी की कानूनी गारंटी,कृषि से जुड़े क्षत्रों को अमेरिकी समझौते से बाहर रखने और पुराने पुलिस मामलों की वापसी जैसे अहम मुद्दों पर चर्रा होगी.
महापंचायत के एजेंडे में क्या है खास?
आपको बता दे कि, किसान महापंचायत के सभी फैसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल की कानूनी गारंटी मुख्य मांग है. इसके अलावा, SKM ने साफ किया कि कृषि, डेरी,पोल्ट्री और मत्स्य पालन को अमेरिका के साथ किसी भी प्रस्तावित व्यापार समझौते से बाहर रखा जाए. साथ ही 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज पुलिस मामलों को रद्द करने की मांग भी दोहराई जाएगी.
चार साल बाद फिर एकजुट किसान
यह महापंचायत करीब चार साल बाद हो रही है, जब 2020-21 में किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालकर तीन कृषि कानूनों का विरोध किया था. उस समय हजारों किसानों ने महीनों तक प्रदर्शन किया, जिसके बाद केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की थी.
सरकार पर अधूरे वादों का आरोप
कानूनों की वापसी के बावजूद कई किसान संगठन केंद्र सरकार पर वादे पूरे न करने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि MSP पर कानून बनाने, पुलिस मामलों की वापसी और अन्य वादों पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
सुरक्षा के सख्त इंतजाम
पुलिस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगभग 1,200 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई अप्रिय घटना न हो और शांति बनी रहे।”
पंजाब-हरियाणा के किसानों की पुरानी जद्दोजहद
पंजाब और हरियाणा के किसानों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर महीनों तक डेरा डाले रखा था. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने चार महीने से अधिक समय तक अनशन किया। हालांकि, कई दौर की बातचीत के बावजूद MSP की गारंटी पर सहमति नहीं बन सकी.
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जगजीत सिंह डल्लेवाल की सराहना करते हुए कहा था कि वह “सच्चे किसान” हैं। कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि कुछ लोग राजनीतिक एजेंडे के कारण समाधान नहीं चाहते। हाईवे ब्लॉक करने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि “हाईवे देश की जीवनरेखा हैं, इन्हें बाधित नहीं किया जा सकता।”

