Durga Puja 2025 Funding: कोलकाता उच्च न्यायालय ने दुर्गा पूजा अनुदान पर बड़ा फैसला , बिना हिसाब के अनुदान बंद होगा

Chandan Das
Kolkata

Durga Puja 2025 Funding: कोलकाता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दुर्गा पूजा अनुदान को लेकर स्पष्ट आदेश जारी किया है कि जिन क्लबों ने पिछले वर्ष मिले अनुदान का हिसाब नहीं दिया है उन्हें आगे कोई अनुदान नहीं दिया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि सरकारी अनुदान पर पारदर्शिता और जवाबदेही अनिवार्य है। राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से दुर्गा पूजा कमेटियों को अनुदान दे रही है। पिछले साल प्रति पूजा कमेटी 85,000 रुपए अनुदान मिला था जो इस साल बढ़कर एक लाख 10 हजार रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा बिजली के बिल भी माफ किए गए हैं। हालांकि, अनुदान देने से पहले हिसाब-किताब की शर्त अब अनिवार्य कर दी गई है।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिया एक महीने का समय

न्यायमूर्ति सुजॉय पाल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने आदेश में कहा है कि क्लबों को अगले महीने के भीतर पिछले अनुदान का विवरण देना होगा। केवल वे क्लब अनुदान प्राप्त कर सकेंगे जो समय पर अपनी रिपोर्ट जमा करेंगे। खंडपीठ ने साफ किया कि सरकारी धन का दुरुपयोग स्वीकार्य नहीं है। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि 2024 में जिले और शहर में कुल 2,876 क्लबों को अनुदान दिया गया है। पिछले साल भी कोलकाता पुलिस क्षेत्र में इतने ही पूजा समितियों को अनुदान दिया गया था, जिनमें से अधिकांश ने उपयोग प्रमाण पत्र जमा किए हैं। जिला पुलिस द्वारा हजारों जांच भी की गई हैं।

नए क्लबों को अब से अलग से देना होगा हिसाब

हालांकि इस बार नए जोड़े गए क्लबों को पिछले साल की सूची से बाहर रखा गया है। केवल उन्हीं क्लबों को इस नए आदेश के तहत हिसाब-किताब देना होगा, जिन्हें पहले अनुदान मिला था। इससे अनुदान प्रक्रिया में और कड़ाई आने की उम्मीद है।

भाजपा पार्षद सजल घोष ने उठाए सवाल

उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भाजपा पार्षद और पूजा समिति के संस्थापक सजल घोष ने कहा, “धर्मनिरपेक्ष राज्य को खेल, मेले, पूजा या प्रार्थना पर सरकारी पैसा खर्च नहीं करना चाहिए। सरकार को अपने करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल विकास और सुरक्षा के लिए करना चाहिए।” उनका यह बयान राज्य सरकार की नीति पर सवाल उठाता है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जिन क्लबों ने अनुदान का हिसाब नहीं दिया, उनके बारे में सोचने की जरूरत है और यदि आवश्यक हुआ तो उनका अनुदान बंद भी किया जा सकता है। न्यायालय ने 48 घंटे के भीतर हलफनामा देने को कहा था, जिसके बाद बुधवार को अपना फैसला सुना दिया। न्यायालय के आदेश से बढ़ेगा सरकारी धन के पारदर्शिता और जवाबदेही का दबाव

यह आदेश राज्य सरकार और दुर्गा पूजा क्लबों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। अब अनुदान वितरण की प्रक्रिया अधिक सशक्त और नियमबद्ध होगी, जिससे सरकारी धन के दुरुपयोग पर अंकुश लग सकेगा।

आगे की कार्रवाई पर नजर

अदालत के आदेश के बाद यह देखना होगा कि राज्य सरकार और पूजा समितियां किस प्रकार नए नियमों का पालन करती हैं। इस फैसले से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि यह राज्य में अनुदान प्रणाली को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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