Krishna Janmashtami 2025: हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को Krishna Janmashtami बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक भी है। इस पर्व से जुड़ी कथा भक्तों को अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने का अमूल्य संदेश देती है। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं भगवान कृष्ण की जन्मकथा, जो इस पर्व को और अधिक पावन और सार्थक बनाती है।
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कंस की भविष्यवाणी

पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा नगरी का राजा कंस अपनी क्रूरता और अत्याचारों के लिए जाना जाता था। कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था। देवकी का विवाह वासुदेव से भव्य रूप से संपन्न हुआ था। विवाह के बाद आकाशवाणी हुई कि कंस की मृत्यु उसकी बहन देवकी की आठवीं संतान के हाथों होगी। यह सुनकर कंस भयभीत हो गया। उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया। देवकी ने भाई से विनती की कि उसकी संतान उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगी, लेकिन कंस ने निर्दयता पूर्वक उनकी बात ठुकरा दी।
संतान का बलिदान
जेल में रहते हुए देवकी ने सात संतानें जन्मीं। लेकिन हर बार निर्दयी कंस ने उन शिशुओं की निर्मम हत्या कर दी। यह दुखद घटनाएँ देवकी और वासुदेव के लिए असहनीय थीं, फिर भी उनका विश्वास और धैर्य अडिग रहा। समय आने पर आठवीं संतान का जन्म हुआ। उसी क्षण चमत्कारिक घटनाएँ घटित हुईं। कारागार के द्वार अपने आप खुल गए और वातावरण दिव्य प्रकाश से भर गया। भगवान की कृपा से वासुदेव सुरक्षित रूप से शिशु कृष्ण को लेकर गोकुल पहुँचे और वहाँ नंद बाबा और यशोदा मैया के घर उसे छोड़ आए। बदले में वे यशोदा के घर जन्मी कन्या को जेल में ले आए।
कृष्ण का पालन-पोषण
गोकुल में नंद बाबा और यशोदा मैया ने छोटे कृष्ण का लालन-पालन बड़े स्नेह और प्रेम से किया। यशोदा मैया ने उन्हें माँ के प्रेम से पाला। बाल्यकाल में श्रीकृष्ण की माखन चोरी, रासलीला और बांसुरी की धुन ने सभी का मन मोह लिया। बचपन से ही उनके दिव्य गुण प्रकट होने लगे थे, जो यह संकेत देते थे कि वे कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं।
कंस का अंत
बड़े होने पर श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस के अत्याचारों का अंत किया। यह घटना केवल एक राजा के वध की नहीं थी, बल्कि यह अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक थी। कंस का वध न्याय और सत्य की जीत का प्रतीक बन गया, जिससे ब्रजवासियों को मुक्ति मिली।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
