KTR Arrest Protest: शनिवार को तेलंगाना सचिवालय के बाहर यूरिया की किल्लत को लेकर प्रदर्शन कर रहे बीआरएस (भारतीय राष्ट्र समिति) के कार्यकारी अध्यक्ष केटीआर (के.टी. रामराव) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह प्रदर्शन राज्य में यूरिया की कमी के कारण किसानों को हो रही समस्याओं को उजागर करने के लिए आयोजित किया गया था। प्रदर्शन के दौरान बीआरएस के कई विधायक भी कृषि आयुक्त कार्यालय पहुंचे थे, जहां उन्होंने ज्ञापन देने के बाद पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए।
केटीआर ने कांग्रेस सरकार पर लगाया आरोप
केटीआर ने आरोप लगाया कि तेलंगाना में खाद की किल्लत कांग्रेस सरकार के असफल प्रबंधन के कारण पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि बीआरएस सरकार के तहत पिछले 10 सालों में कभी भी यूरिया की इतनी बड़ी कमी नहीं आई थी। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने किसानों की समस्याओं को उठाया और राज्य में यूरिया की कमी को गंभीर मुद्दा बताया। केटीआर ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकारों की विफलताओं के कारण किसान संकट में हैं।
BRS ने यूरिया की कमी का उठाया मुद्दा
प्रदर्शन के दौरान बीआरएस नेताओं ने खाली यूरिया की बोरियां दिखाकर अपने “यूरिया प्रोटेस्ट” को और जोरदार तरीके से पेश किया। उन्होंने यह संकेत दिया कि राज्य में यूरिया की भारी कमी हो गई है, जिससे किसानों को फसल की सही तरीके से देखभाल करने में समस्या हो रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यूरिया की उपलब्धता में गिरावट से किसानों की खेती पर गंभीर असर पड़ेगा।
केंद्र ने तेलंगाना को यूरिया का आवंटन किया
केंद्र सरकार ने खरीफ 2025 (खेती का मौसम) के लिए तेलंगाना को 9.8 लाख मीट्रिक टन यूरिया आवंटित किया था, लेकिन राज्य सरकार ने बताया कि अगस्त तक 8.3 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता थी, जबकि अब तक केवल 5.42 लाख मीट्रिक टन यूरिया प्राप्त हुआ है। इस प्रकार, राज्य को अब तक 2.88 लाख मीट्रिक टन यूरिया की कमी का सामना करना पड़ रहा है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस कमी के कारण किसानों को आगामी फसल की तैयारी में कठिनाई हो सकती है।
खाद संकट पर राजनीतिक संघर्ष
राज्य में खाद की कमी को लेकर बीआरएस और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। बीआरएस नेताओं का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियां किसानों के हित में नहीं हैं, और यूरिया की कमी के लिए जिम्मेदार सरकारों को जवाब देना चाहिए। इस बीच, केंद्र सरकार और तेलंगाना राज्य सरकार दोनों अपनी-अपनी स्थिति पर कायम हैं, जिससे खाद संकट पर विवाद बढ़ता जा रहा है।

