Kuku FM: भारतीय ऑडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म कुकू एफएम का करीब 600 करोड़ रुपये की नई फंडिंग जुटाने का अब अंतिम समय चल रहा है. बता दें कि ये निवेश सिंगापुर के फर्म ग्रेनाइट एशिया से मिलने के आसार है. दरअसल, ये घटनाक्रम ऐसे वक्त में हो रहा है जब डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की सब्सक्रिप्शन नीतियों और बिलिंग पारदर्शिता के लिए भी चिंताओं में वृद्धि होती नजर आ रही है। कुकू एफएम सहित और भी कुछ कंटेंट ऐप्स ऐसे भी हैं जो कि “डार्क पैटर्न्स” का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है. बता दें कि ये ऐसी यूज़र इंटरफेस तकनीकें हैं जो कि न चाहते हुए भी पेड सेवाओं के लिए साइन अप करा देती हैं।
Read more: Jio Finance Share Price: शेयर डाउन, डील अप! जियो फाइनेंशियल के इस कदम से मचेगा हड़कंप?
उपयोगकर्ताओं की शिकायतें…
उपयोगकर्ताओं की शिकायतों की मानें तो, बहुत से ऐसे प्लेटफॉर्म जो कि (₹1 या ₹2) में ट्रायल ऑफर देते हैं, लेकिन ट्रायल खत्म होते ही ₹149 से ₹699 तक की रकम बिना स्पष्ट जानकारी खाते से कट जाते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को कई उपयोगकर्ताओं ने इस तरह की कटौतियों को भ्रामक और अपारदर्शी बताते हुए शिकायतें भेजी हैं.
“डार्क पैटर्न्स”क्या है?
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा इन सभी मामलो को बड़ी ही कठोरता से लिया गया है. जिसको लेकर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी अभी हाल ही में चिंता व्यक्त की साथ ही इकोनॉमी में नैतिक आचरण की आवश्कता पर भी बल दिया है। इसी के जवाब में सरकार ने “डार्क पैटर्न्स” के खिलाफ दिशानिर्देश जारी किए हैं और सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से इन्हें लागू करने का भी निवेदन है।
Read more: JP Power Share Price: गिरा शेयर, बढ़ी उम्मीद! जानिए क्यों D-Street अब भी HOLD की सिफारिश कर रहा
इन गाइडलाइन्स के अनुसार…
नई गाइडलाइंस के अनुसार कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म का समय-समय पर ऑडिट करना होगा ताकि भ्रामक कंटेंट या प्रक्रियाओं की पहचान की जा सके। उन्हें चार्ज, ऑटो-रिन्युअल और बिलिंग से जुड़ी सभी शर्तों को यूज़र्स के सामने साफ-साफ रखना चाहिए। यूज़र सुरक्षा और नैतिक व्यापार व्यवहार को प्राथमिकता देनी होगी। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर बढ़ती शिकायतें इस समस्या की गंभीरता को और उजागर कर रही हैं।
वहीं, कुकू एफएम को मिलने वाली संभावित फंडिंग यह संकेत देती है कि भारत के ऑडियो कंटेंट सेक्टर में निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है। लेकिन इस भरोसे के साथ अब पारदर्शिता और यूज़र फ्रेंडली अनुभव की भी बड़ी माँग उठ रही है। जैसे-जैसे रेगुलेशन सख्त होते जा रहे हैं और यूज़र्स अधिक जागरूक हो रहे हैं, डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री अब ऐसे दौर में प्रवेश कर रही है जहाँ विश्वास और स्पष्टता, सिर्फ मुनाफे या निवेश जितनी ही अहमियत रखने लगी है।