Lalu Family Controversy: लालू प्रसाद यादव के परिवार में हाल ही में हुआ विवाद अब बिहार की राजनीति का अहम मुद्दा बन चुका है। रोहिणी आचार्य ने राजनीति से दूरी बनाने और परिवार से अलग रहने का फैसला किया है, जिससे न केवल आरजेडी (RJD) के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं, बल्कि बिहार की राजनीतिक स्थिति भी तनावपूर्ण हो गई है। जैसे-जैसे यह विवाद बाहर आ रहा है, विपक्ष और एनडीए (NDA) के नेता अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, जिससे माहौल और गर्मा गया है।
Lalu Family Controversy: बीजेपी का परिवार पर तीखा हमला
बीजेपी ने इस विवाद को लेकर आरजेडी पर सीधा हमला बोला है। पार्टी ने सोशल मीडिया के जरिए तंज कसते हुए कहा कि बिहार की जनता ने आरजेडी को सत्ता से दूर रखकर खुद को “जंगलराज” से बचाया है। बीजेपी ने सवाल उठाया कि “जिस परिवार में बहू-बेटियों के साथ ऐसी स्थितियां बनती हैं, अगर वही लोग सत्ता में होते, तो बिहार की महिलाओं का क्या हाल होता?”
बीजेपी के आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से यह टिप्पणी की गई, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि “जिस परिवार में बहू-बेटियों को बाल पकड़कर और चप्पल से पीटा जाता हो, अगर ये लोग सत्ता में आ जाते, तो बिहार की बहन-बेटियों के साथ कैसा सलूक करते?”यह बयान राजनीतिक गरमी और बढ़ा दी है और आरजेडी के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। बीजेपी की ओर से यह हमला लालू परिवार के आंतरिक विवादों पर था, जो अब सार्वजनिक हो चुका है।
बिहार की जनता ने RJD को नहीं चुनकर जंगलराज से बचा लिया!
जिस परिवार में बहू-बेटियों को बाल पकड़कर और चप्पल से पीटा जाता हो, सोचिए… ये लोग अगर सत्ता में आ जाते, तो बिहार की बहन-बेटियों के साथ कैसा सलूक करते… pic.twitter.com/dszwVYGyib
— BJP (@BJP4India) November 16, 2025
Lalu Family Controversy: एलजेपी नेता चिराग पासवान का मानवीय पक्ष
एलजेपी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस विवाद को मानवीय पहलू से देखा। उन्होंने कहा, “रोहिणी आचार्य की तकलीफ समझी जा सकती है। वह मेरी बहन जैसी हैं और परिवार में तनाव होना किसी के लिए भी पीड़ादायक होता है।” चिराग पासवान ने यह भी कहा कि यह धारणा गलत है कि बेटी का घर सिर्फ ससुराल होता है। रोहिणी जो महसूस कर रही हैं, उसकी पीड़ा वह समझ सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह स्थिति जल्द सुधरेगी।चिराग पासवान का यह बयान इस विवाद को मानवीय दृष्टिकोण से देखने की कोशिश कर रहा था, जिससे यह भी स्पष्ट हुआ कि पार्टी के भीतर एक तरह का समर्थन भी है, हालांकि यह विवाद सियासी रूप ले चुका है।
जेडीयू नेता अशोक चौधरी का तटस्थ रुख
जेडीयू के नेता अशोक चौधरी ने इस विवाद को एक निजी मामला करार दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े परिवार में मतभेद होना असामान्य नहीं है, लेकिन ऐसी स्थिति का सार्वजनिक रूप से बाहर आना दुखद है। अशोक चौधरी ने यह भी कहा कि यह विवाद आरजेडी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है और इसे राजनीतिक रंग देना उचित नहीं है। उनके अनुसार, यह सिर्फ एक पारिवारिक मामला है और इसे व्यक्तिगत दृष्टिकोण से हल करना चाहिए, न कि राजनीतिक स्तर पर।
विवाद का राजनीतिक असर और भविष्य की स्थिति
लालू परिवार में चल रहे इस विवाद का असर न केवल आरजेडी बल्कि बिहार की राजनीति पर भी पड़ रहा है। इस विवाद ने पार्टी के आंतरिक संघर्षों को उजागर किया है और विपक्षी पार्टियों को आक्रमण करने का मौका दिया है। बीजेपी और एलजेपी जैसे दल इस मौके का फायदा उठाने में लगे हुए हैं, जबकि जेडीयू जैसे सहयोगी दल तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं।इस स्थिति में, आरजेडी के नेताओं के लिए यह वक्त अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने का हो सकता है। रोहिणी आचार्य का राजनीति से हटना और परिवार से दूरी बनाने का निर्णय पार्टी के लिए चिंता का कारण बन सकता है, जिससे पार्टी के नेतृत्व को और अधिक मजबूती से अपनी भूमिका निभानी होगी।
लालू परिवार में चल रहे इस विवाद ने न केवल पार्टी को असहज स्थिति में डाला है, बल्कि बिहार की राजनीति में भी एक नया मोड़ लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आरजेडी इस आंतरिक संघर्ष से कैसे उबरती है और किस दिशा में अपनी राजनीति को आगे बढ़ाती है।
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