Leh-Ladakh Violence: केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लेह जिले में हालात अब भी सामान्य नहीं हो सके हैं। बीते दिनों सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में चार लोगों की मौत और 40 से अधिक के घायल होने के बाद पूरे इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इस हिंसा के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस और सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।प्रशासन के अनुसार, भीड़ ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था, जिससे हालात और बिगड़ गए। पुलिस ने अब तक 50 लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच जारी है।
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शिक्षा संस्थान 2 दिन के लिए बंद
हालात को देखते हुए लेह के जिलाधिकारी रोमिल सिंह डोनक ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने शुक्रवार से सभी सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों को दो दिनों के लिए बंद रखने का आदेश दिया है। इसके अलावा, आंगनवाड़ी केंद्रों को भी बंद रखने का निर्देश दिया गया है।प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
फिलहाल कर्फ्यू क्षेत्रों में स्थिति नियंत्रण में
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कर्फ्यू वाले क्षेत्रों में स्थिति अब नियंत्रण में है। हालांकि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा बलों की गश्त जारी है। प्रशासन पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल खत्म की
इस पूरे घटनाक्रम के बीच प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल को बीच में ही समाप्त करने का निर्णय लिया है। वे पिछले दो सप्ताह से भूख हड़ताल पर थे, लेकिन हिंसा के कारण उन्होंने यह कदम उठाया।वांगचुक ने इस हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा,“यह लद्दाख के लिए सबसे दुखद दिन है। हमने पांच सालों से शांति की राह अपनाई थी, लेकिन हिंसा हमारे आंदोलन को कमजोर करती है।”उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे हिंसा तुरंत बंद करें और शांति के रास्ते पर लौटें।
केंद्र सरकार ने वांगचुक को ठहराया जिम्मेदार
इस हिंसा के लिए केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार का कहना है कि यह हिंसक भीड़ उनके भड़काऊ बयानों से प्रेरित थी।इसके जवाब में वांगचुक ने केंद्र पर “बलि का बकरा” बनाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रही है।उन्होंने यह भी कहा कि अगर आवश्यक हो, तो वे जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत गिरफ्तारी के लिए तैयार हैं।
