LIC Investment: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) पर अडाणी ग्रुप में 3.9 अरब डॉलर यानी करीब 33,000 करोड़ रुपए निवेश करने का बड़ा आरोप लगा है। कांग्रेस ने अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि LIC ने 2025 की शुरुआत में यह निवेश ग्राहकों की मेहनत की कमाई का गलत इस्तेमाल करते हुए अडाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए किया। पार्टी ने पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) से इसकी जांच की मांग की है।
कांग्रेस और TMC का आरोप
कांग्रेस ने कहा कि LIC के इस निवेश से 30 करोड़ लोगों की जमा पूंजी जोखिम में डाली गई। वहीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया रिपोर्ट साझा की। रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडाणी इस साल की शुरुआत में भारी कर्ज में डूबे थे और अमेरिका में घूसखोरी के आरोपों का सामना कर रहे थे, उसी समय LIC और केंद्र सरकार ने उनके समूह में यह बड़ा निवेश किया।
LIC ने रिपोर्ट को खारिज किया
LIC ने वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया। कंपनी ने कहा कि उसके सभी निवेश पूरी ईमानदारी और सावधानीपूर्वक निर्णय प्रक्रिया के तहत किए जाते हैं। LIC ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में बताए गए किसी भी दस्तावेज़ या योजना का संबंध LIC के अडाणी ग्रुप निवेश से नहीं है। कंपनी ने यह भी कहा कि यह रिपोर्ट LIC की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने, कंपनी की छवि खराब करने और भारत के मजबूत वित्तीय ढांचे को कमजोर करने के उद्देश्य से जारी की गई है।
जयराम रमेश ने उठाए गंभीर सवाल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे “बड़ा घोटाला” करार दिया।
सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग: ED, CBI और इनकम टैक्स विभाग का इस्तेमाल करके दूसरी निजी कंपनियों पर दबाव डालकर उन्हें संपत्ति अडाणी को सस्ते में बेचने पर मजबूर किया गया।
संपत्तियों का निजीकरण: हवाई अड्डे, बंदरगाह जैसी महत्वपूर्ण संपत्तियां सिर्फ अडाणी ग्रुप को लाभ पहुंचाने के लिए बेची गईं।
विदेशी सौदों में मदद: भारत की कूटनीति का उपयोग करके पड़ोसी देशों में अडाणी को कॉन्ट्रैक्ट दिलवाए गए, जैसे बांग्लादेश और श्रीलंका।
कोयले की महंगाई: शेल कंपनियों के माध्यम से महंगा कोयला आयात किया गया, जिससे अडाणी पावर प्लांट की बिजली महंगी हुई।
चुनाव से पहले बिजली सौदे: मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और हाल ही में बिहार में अडाणी को ऊंची कीमतों पर बिजली सप्लाई और जमीन का विशेष लाभ दिया गया।यह मामला LIC की सार्वजनिक जवाबदेही और वित्तीय निर्णय प्रक्रिया पर सवाल उठाता है। विपक्षी दल इसे ग्राहकों की बचत का दुरुपयोग बताते हुए गहन जांच की मांग कर रहे हैं। LIC ने निवेश की पारदर्शिता पर जोर दिया है, लेकिन आरोपों ने वित्तीय और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
