लोकसभा चुनाव: जानें जौनपुर जिले का चुनावी इतिहास

Laxmi Mishra

लोकसभा चुनाव 2024: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।

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जौनपुर का इतिहास

यूपी की 80 सीटों में से एक सीट जौनपुर की है, यह ज़िले का मुख्यालय भी है। पहले इस जिले पर गुप्त वंश का आधिपत्य था यह एक ऐतिहासिक शहर भी था। मध्यकालीन भारत में जौनपुर सल्तनत (1394 और 1479 के बीच) उत्तरी भारत का एक स्वतंत्र राज्य था, जिसपर शर्की शासक जौनपुर से शासन करते थे। यहाँ की अवधी मुख्य भाषा है। यह भी मान्यता है कि जौनपुर प्राचीन समय में देवनागरी नाम का पवित्र स्थान था जो अपने शिक्षा, कला और संस्कृति के कारण प्रसिद्ध था।

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सर्वप्रथम इस स्थान पर कन्नौज के शासक ने आक्रमण करके इसे अपने आधीन कर इसका नाम यवनपुर रखा जिसके बाद इसपर तुगलक शासक फिरोज शाह तुगलक ने इसकी स्थापना 13वीं सदी में अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में की थी जिसका वास्तविक नाम जौना खां था। इसी कारण इस शहर का नाम जौनपुर रखा गया।

वहीं 1394 के लगभग में मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया। जौनपुर का शर्की शासक कला प्रेमी थे जब शर्की का शासन था तब उन्होंने अनेक मकबरों, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया गया। यह शहर मुस्लिम संस्कृति और शिक्षा के केन्द्र के रूप में भी जाना जाता है। वर्तमान में यह शहर चमेली के तेल, तम्बाकू की पत्तियों, इमरती और स्वीटमीट के लिए लिए प्रसिद्ध है।

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जौनपुर के मुख्य आकर्षण केंन्द्र

  • अटाला मस्जिद- इसका निर्माण 1393 ईस्वी में फिरोजशाह तुगलक के समय में शुरू हुआ था जो 1408 में जाकर इब्राहिम शर्की के शासनकाल में पूरा हुआ। मस्जिद के तीन तोरण द्वार हैं।
  • जामा मस्जिद- जामा मस्जिद सबसे विशाल मस्जिद का निर्माण हुसैन शाह ने 1458-78 के बीच करवाया था। एक ऊंचे चबूतर पर बनी इस मस्जिद का आंगन 66 मीटर और 64.5 मीटर का है। मस्जिद से लगा हुआ शरकी क़ब्रिस्तान भी आकर्षक का केंद्र है।
  • शाही किला- शाही किला गोमती के बाएं किनारे पर शहर के दिल में स्थित है। शाही किला फिरोजशाह ने 1362 ई. में बनाया था इस किले के भीतरी गेट की ऊचाई 26.5 फुट और चौड़ाई 16 फुट है। केंद्रीय फाटक 36 फुट ऊंचा है।
  • लाल दरवाजा मस्जिद- लाल दरवाजा मस्जिद बनवाने का श्रेय सुल्तान महमूद शाह की रानी बीबी राजी को जाता है। इस मस्जिद का क्षेत्रफल अटाला मस्जिद से कम है। लाल पत्थर के दरवाजे से बने होने के कारण इसे लाल दरवाजा मस्जिद कहा जाता है। इस मस्जिद में जौनपुर का सबसे पुराना मदरसा भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां सासाराम के शासक शेर शाह सूरी ने शिक्षा ग्रहण की थी इस मदरसा का नाम जामिया हुसैनिया है जिसके प्रबंधक मौलाना तौफ़ीक़ क़ासमी है।
  • खालिश मुखलिश मस्जिद- यह मस्जिद 1417 ई. में बनी थी। मस्जिद का निर्माण मलिक मुखलिश और खालिश ने करवाया था।
  • शाही ब्रिज- गोमती नदी पर बने इस खूबसूरत ब्रिज को मुनीम खान ने 1568 ई. में बनवाया था। शर्कीकाल में जौनपुर में अनेकों भव्‍य भवनों, मस्‍जि‍दों व मकबरों का र्नि‍माण हुआ।
  • शीतला माता मंदिर- यहां शीतला माता का लोकप्रिय प्राचीन मंदिर बना हुआ है। कहा जाता है कि यहां मौर्य कालीन प्राचीन मन्दिर था जिसका जीर्णोद्धार करके मां शीतला चौकियां धाम रखा गया।
  • बारिनाथ मंदिर- बाबा बारिनाथ का मंदिर इतिहासकारों के अनुसार लगभग 300 वर्ष पुराना है। यह मंदिर उर्दू बाज़ार में स्थित है और इस दायरा कई बीघे में है।
  • यमदाग्नी आश्रम- जिले के जमैथा गावं में गोमती नदी के किनारे स्थित यह आश्रम एक धार्मिक केन्द्र के रूप में विख्यात है। सप्तऋषियों में से एक ऋषि जमदग्नि उनकी पत्नी रेणुका और पुत्र परशुराम के साथ यहीं रहते थे।
  • रामेश्वरम महादेव- यह भगवान शिव का मंदिर राजेपुर त्रीमुहानी जो सई और गोमती के संगम पर बसा है। इसी संगम की वजह से इसका नाम त्रीमुहानी पड़ा है। कहा जाता है कि लंका विजय करने के बाद जब राम अयोध्या लौट रहे थे तब उस दौरान सई-गोमती संगम पे कार्तिक पुर्णिमा के दिन स्नान किया जिसका साक्ष्य वाल्मीकि रामायण में मिलता है “सई उतर गोमती नहाये , चौथे दिवस अवधपुर आये। तब से कार्तिक पुर्णिमा के दिन प्रत्येक वर्ष मेला लगता है।
  • गोकुल घाट(गोकुल धाम)- गोकुल धाम मंदिर अत्यंत पुराना मंदिर है जिसे लगभग 400 वर्ष पुराना माना जाता है जो कि गोमती नदी के तीर स्थित है। गोकुल घाट के संरक्षक साहब लाल मौर्य के द्वारा बताया गया है।
  • पांचों शिवाला- पांचों शिवाला जौनपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक है, यह अत्यंत आकर्षक शिव मंदिर है। इसमें पांच शिवालयों का समूह आकर्षक है।
  • जौनपुर की मूली- जौनपुर की मूली बहुत प्रसिद्ध है और यह लगभग 4 से 6 फीट तक होती है जब भी ऐसी मूली सामने आती है चर्चा का विषय बन जाती है और उसे देखने के लिए भीड़ लग जाती है।
  • अन्य : सई-गोमती संगम ,संगम स्थित विजईपुर ग्राम में बने ‘नदिया के पार’ फिल्म का शूटिंग स्थल, संगम पे रामेश्वर मंदिर, संगम से कुछ दूर बिरमपुर केवटी में स्थित चौबीस गाँव की कुल देवी माँ चंडी धाम, शीतला चौकियाँ धाम, जमैथा आश्रम, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, तिलकधारी महाविद्यालय, मैहर धाम, कटवार, आदि। यहां पर हनुमानजी का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर ” अजोसी महावीर धाम ” मड़ियाहूं तहसील के अजोसी गांव में स्थित है।

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संसद सदस्य

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1952 – बीरबल सिंह – (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1957 – बीरबल सिंह – (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1962 – ब्रह्मजीत सिंह – (भारतीय जनसंघ)
1963^ – राजदेव सिंह – (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1967 – राजदेव सिंह – (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1971 – राजदेव सिंह – (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1977 – यादवेंद्र दत्त दुबे – (जनता पार्टी)
1980 – अज़ीज़ुल्लाह आज़मी – (जनता पार्टी)
1984 – कमला प्रसाद सिंह – (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1989 – यादवेंद्र दत्त दुबे – (भारतीय जनता पार्टी)
1991 – अर्जुन सिंह यादव – (जनता दल)
1996 – राज केशर सिंह – (भारतीय जनता पार्टी)
1998 – पारसनाथ यादव – (समाजवादी पार्टी)
1999 – स्वामी चिन्मयानन्द – (भारतीय जनता पार्टी)
2004 – पारसनाथ यादव – (समाजवादी पार्टी)
2009 – धनंजय सिंह – (बहुजन समाज पार्टी)
2014 – कृष्ण प्रताप सिंह – (भारतीय जनता पार्टी)
2019 – श्याम सिंह यादव – (बहुजन समाज पार्टी)

जानें जिले का राजनीतिक सफर

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जिले में 1952 -1957 से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीरबल सिंह सांसद बने। 1962 में ब्रह्मजीत सिंह ने भारतीय जनसंघ से जीत हासिल की जिसके बाद 1963 में कांग्रेस के राजदेव सांसद बने और 67 के साथ ही 71 में भी इन्होंने जीत हासिल की। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस को हार मिली और जनता पार्टी के यादवेंद्र दत्त दुबे ने जीत हासिल की। 1980 में जनता पार्टी के ही अज़ीज़ुल्लाह आज़मी जीते।

कांग्रेस की लहर आते ही 1984 में कमला प्रसाद सिंह जीतकर सांसद चुने गए। 1989 में जनता दल और भाजपा का गठबंधन हुआ तो बीजेपी के यादवेंद्र दत्त दुबे सांसद बने। जिसके बाद 1991 में जनता दल के अर्जुन सिंह यादव चुनाव जीते।

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1996 भाजपा के राज केशर सिंह और 1998 में पारसनाथ यादव को जीत मिली। 1999 में भाजपा के स्वामी चिन्मयानन्द सांसद बने और अटल जी की सरकार में मंत्री भी बने। 2004 एक बार फिर सपा के पारसनाथ यादव जीते। 2009 में बसपा के टिकट पर बाहुबली धनंजय सिंह सांसद चुने गए। 2014 की मोदी लहर में भाजपा के कृष्ण प्रताप सिंह जीते। फिर 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन होने पर श्याम सिंह यादव बहुजन समाज पार्टी से जीत हासिल किए और सांसद बने।

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जौनपुर का जातीय समीकरण

जौनपुर में अन्य जातियों की तुलना में क्षत्रिय और ब्राह्मण जातियों की संख्या ज्यादा है। यही कारण है कि ज्यादातर सांसद क्षत्रिय रहे हैं। वहीं अगर जिले के ब्राह्मणों की संख्या देखी जाए तो यहां पर लगभग में 3 लाख है, और क्षत्रिय लगभग 2 लाख हैं। मुस्लिमों की संख्या लगभग 3 लाख और यादवों की संख्या लगभग 3 लाख है। वहीं अगर बात करें अनुसूचित जाति की तो यहां पर लगभग 2.50 लाख है।

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