लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन की हाल की टिप्पणी ने कार्य-जीवन संतुलन पर एक बड़ी बहस को जन्म दिया है। सुब्रह्मण्यन ने एक वीडियो में मज़ाक करते हुए कर्मचारियों से सप्ताह में सातों दिन काम करने की संभावना पर विचार किया और यहां तक कि रविवार को भी काम करने की बात की। इस टिप्पणी ने ऑनलाइन आलोचनाओं का तूफान खड़ा कर दिया, खासकर जब उन्होंने यह पूछा, “आप घर पर बैठकर क्या करते हैं?
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इंफोसिस के संस्थापक की टिप्पणी
यह टिप्पणी इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति द्वारा की गई उसी तरह की टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें मूर्ति ने 70 घंटे के कार्य सप्ताह की वकालत की थी। मूर्ति का कहना था कि भारत की प्रगति इसके नागरिकों की कड़ी मेहनत और त्याग पर निर्भर करती है। उनके अनुसार, कार्य-जीवन संतुलन की कोई आवश्यकता नहीं है और कड़ी मेहनत ही आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। इसके विपरीत, स्विगी के सीईओ रोहित कपूर ने देर रात तक काम करने की संस्कृति के खिलाफ़ आवाज उठाई और कर्मचारियों को स्वास्थ्य और परिवार को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया।

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सुब्रह्मण्यन का बयान बना बड़ा विवाद
सुब्रह्मण्यन के बयान और मूर्ति के विचारों ने एक बड़ा विवाद पैदा कर दिया है, जिसमें कुछ लोगों ने इसे निजी क्षेत्र की “गुलामी” और कर्मचारियों पर अत्यधिक दबाव डालने के रूप में देखा है। इस चर्चा ने भारत में कार्य-जीवन संतुलन के मुद्दे को फिर से प्रमुख बना दिया है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या कड़ी मेहनत की परिभाषा और काम के घंटों में लचीलापन भारतीय कार्यसंस्कृति में शामिल किया जाना चाहिए।
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स्विगी के सीईओ का विरोध
स्विगी के सीईओ रोहित कपूर ने हसल कल्चर और देर रात तक काम करने की संस्कृति की आलोचना की। इंस्टाग्राम पर एक वायरल वीडियो में उन्होंने कहा, “जो लोग सुबह 3 बजे तक काम करने का दावा करते हैं, वे यह नहीं बताते कि वे दोपहर 1 बजे तक ऑफिस पहुँचते हैं।”

