Lucknow: CM योगी की MSME अधिकारियों के साथ बैठक,UP को फुटवियर-लेदर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने पर दिया जोर

Chandan Das

Lucknow: उत्तर प्रदेश ने फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर विनिर्माण के क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने की दिशा में ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को एमएसएमई विभाग की इस संबंध में हुए एक अहम बैठक में जानकारी देते हुए बताया कि,उत्तर प्रदेश को इस क्षेत्र में वैश्विक पहचान दिलाने की अपार संभावनाएं हैं राज्य के पारंपरिक कौशल, प्रशिक्षित श्रमबल, कच्चे माल की प्रचुरता और आगरा, कानपुर व उन्नाव जैसे सशक्त औद्योगिक केंद्रों की मौजूदगी को देखते हुए एक समग्र,व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी नीति का निर्माण आवश्यक हो गया है।

MSME विभाग के अधिकारियों के साथ CM योगी की बैठक

बैठक में ‘उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर एवं नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025’ के प्रारूप पर विभागीय अधिकारियों के साथ चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने क्लस्टर आधारित विकास मॉडल को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि,नीति में स्पष्ट रूप से यह परिभाषित किया जाए प्रदेश के कौन-से क्षेत्र इस उद्योग के लिए सबसे उपयुक्त हैं।मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि यदि उत्पादन,डिजाइन, अनुसंधान और प्रशिक्षण को एकीकृत किया जाए तो यह क्षेत्र न केवल बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित कर सकता है,बल्कि लाखों युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध करा सकता है।

UP को फुटवियर-लेदर विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने पर जोर

सीएम योगी ने फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स जैसी अधोसंरचना सुविधाओं की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया ताकि औद्योगिक इकाइयों को बेहतर कार्य वातावरण मिल सके।जिस पर अधिकारियों ने जानकारी दी कि,प्रस्तावित नीति के तहत अगले कुछ वर्षों में लगभग 22 लाख नई नौकरियों के सृजन की संभावना है।यह नीति उत्तर प्रदेश को वैश्विक फुटवियर और लेदर विनिर्माण का केंद्र बनाने की दिशा में एक निर्णायक पहल मानी जा रही है। वर्तमान में भारत इस क्षेत्र में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है,जिसमें उत्तर प्रदेश की भागीदारी महत्वपूर्ण है।

तकनीकों से संबंधित इकाइयों को समर्थन पर जोर

अकेले कानपुर और उन्नाव में 200 से अधिक सक्रिय टैनरियां कार्यरत हैं,जबकि आगरा को देश की “फुटवियर राजधानी” के रूप में जाना जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा,नीति के तहत न केवल लेदर और नॉन-लेदर फुटवियर निर्माण इकाइयों को बढ़ावा दिया जाए,बल्कि इससे जुड़ी सहायक इकाइयों;जैसे-बकल्स,जिप,सोल,इनसोल,लेस,केमिकल्स, डाइज,हील्स, थ्रेड्स, टैग्स और लेबल्स के निर्माण को भी विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।मशीनरी निर्माण, विशेष रूप से चमड़ा सिलाई, कटिंग, मोल्डिंग और नॉन-लेदर सेफ्टी शूज बनाने वाली तकनीकों से संबंधित इकाइयों को भी समर्थन मिलना चाहिए।

‘उत्तर प्रदेश औद्योगिक आस्थान नीति’ पर भी विचार-विमर्श

मुख्यमंत्री ने कहा,यह समग्र दृष्टिकोण प्रदेश में एक पूर्ण एकीकृत फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार करेगा,जिससे ‘डिजाइन टू डिलीवरी’ मॉडल को स्थानीय स्तर पर साकार किया जा सकेगा। उन्होंने बेहतर उत्पादों के लिए स्किलिंग,पैकेजिंग और मार्केटिंग की मजबूत रणनीति तथा प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।बैठक में प्रस्तावित ‘उत्तर प्रदेश औद्योगिक आस्थान नीति’ पर भी विचार-विमर्श हुआ।अधिकारियों ने बताया…वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि के कुशल उपयोग की कमी,लीज निष्पादन में जटिलता,अनधिकृत बंधक और सब-लेटिंग तथा अनुपयोगी भूखंडों जैसी समस्याएं सामने आती रही हैं।

‘लीज रेंट मॉडल’ पर भी विचार करने पर फोकस

हालांकि प्रस्तावित नीति इन सभी बाधाओं को दूर करते हुए एक पारदर्शी,सुस्पष्ट और समयबद्ध प्रणाली प्रदान करेगी।प्रदेश में सीमित औद्योगिक भूमि को ध्यान में रखते हुए ‘लीज रेंट मॉडल’ पर विचार किया जाए,जिससे निवेशकों का अनावश्यक पूंजीगत व्यय कम होगा और औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि,निजी औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत प्रोत्साहनों के साथ-साथ स्टाम्प ड्यूटी में छूट,बिजली और लॉजिस्टिक्स सब्सिडी तथा सिंगल विंडो अनुमोदन जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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