हाल के वर्षों में लंग्स कैंसर (फेफड़ों का कैंसर) के मामले गैर-धूम्रपान करने वालों में भी बढ़ रहे हैं। पारंपरिक रूप से यह बीमारी मुख्य रूप से धूम्रपान करने वालों से जुड़ी रही है, लेकिन अब गैर-धूम्रपान करने वाले भी इसके शिकार हो रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो हैरान करने वाले हैं।सबसे पहला कारण वायु प्रदूषण है। शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण, खासकर PM 2.5 जैसी सूक्ष्म कणों की उच्च मात्रा, फेफड़ों में जाकर दीर्घकालिक नुकसान पहुंचाती है।
Read More:Migraine: अक्सर होता है सिर में दर्द… हो जाए सतर्क, कही आप भी तो नहीं माइग्रेन के शिकार
गैर-धूम्रपान कैंसर के शिकार

बता दे….. यह प्रदूषण न केवल धूम्रपान करने वालों, बल्कि गैर-धूम्रपान करने वालों को भी लंग्स कैंसर(Lung Cancer) का शिकार बना सकता है।इसके अलावा, राडॉन गैस जैसी रेडियोएक्टिव गैस भी घरों और भवनों में जमा हो सकती है, जो एक प्रमुख कार्सिनोजेन है। यह गैस प्राकृतिक रूप से पृथ्वी से उत्सर्जित होती है और इसके संपर्क में आना भी कैंसर का कारण बन सकता है।
गैर-धूम्रपान करने वालों में लंग्स कैंसर का एक अन्य कारण पैसिव स्मोकिंग हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति धूम्रपान न करता हो, लेकिन धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के आस-पास रहता हो, तो उसे भी अप्रत्यक्ष रूप से धुएं का असर हो सकता है।इसके अलावा, आनुवांशिक कारण और जीन म्यूटेशन भी लंग्स कैंसर के मामलों को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, खराब जीवनशैली, आहार की आदतें, और शारीरिक गतिविधियों की कमी भी इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाती हैं।
Read More:Hair And Care: सफेद बाल है तो दे खास ध्यान, जाने किन विटामिनों के कारण हो रहे है बदलाव?

नॉन स्मोकर्स को क्यों हो रहा है Lung Cancer?
वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण और हवा में मौजूद हानिकारक तत्व जैसे PM 2.5 (जो फेफड़ों में गहरे तक प्रवेश कर सकते हैं) लंबे समय तक श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचाते हैं। शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण गैर-धूम्रपान करने वालों में भी लंग्स कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।
नॉन-स्मोकिंग टॉक्सिन्स : घरों और कार्यस्थलों में राडॉन गैस जैसी हानिकारक गैसों का अवशोषण भी लंग्स कैंसर का कारण बन सकता है। राडॉन एक रेडियोएक्टिव गैस है जो प्राकृतिक रूप से पृथ्वी से उत्सर्जित होती है और घरों में जमा हो सकती है।

जीन और आनुवांशिक कारण: कुछ लोगों में जीन और आनुवांशिक बदलाव लंग्स कैंसर को उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। यदि किसी के परिवार में लंग्स कैंसर का इतिहास है, तो उसे इस बीमारी का खतरा ज्यादा हो सकता है, भले ही वह धूम्रपान न करता हो।
पैसिव स्मोकिंग : किसी व्यक्ति के द्वारा धूम्रपान न करने के बावजूद, अगर वह स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति के आस-पास रहता है, तो उसे भी पासिव स्मोकिंग का खतरा होता है, जो लंग्स कैंसर का कारण बन सकता है।
खानपान और आहार: खराब खानपान, खासकर अत्यधिक जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड के सेवन से शरीर में विषाक्त तत्व जमा हो सकते हैं, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

व्यायाम की कमी: शारीरिक गतिविधियों की कमी, मोटापा और जीवनशैली से संबंधित अन्य समस्याएं लंग्स कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं। स्वस्थ जीवनशैली और नियमित व्यायाम से इस जोखिम को कम किया जा सकता है।
मूलिक जीन परिवर्तन :वैज्ञानिक अध्ययन यह भी दिखाते हैं कि कुछ नॉन-स्मोकर्स में जीन म्यूटेशन होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। ये म्यूटेशन फेफड़ों के कोशिकाओं में हो सकते हैं, जो कैंसर की शुरुआत कर सकते हैं।
ऑक्सीडेटिव तनाव: हमारे शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव (जब शरीर में हानिकारक मुक्त कण होते हैं) भी कैंसर के विकास में योगदान कर सकता है। यह तनाव वातावरणीय प्रदूषण, तनाव, खराब आहार, और अन्य जीवनशैली की आदतों से उत्पन्न हो सकता है।