Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में अखाड़ों के बीच बढ़ा टकराव, नई अखाड़ा परिषद का हुआ गठन…कौन संभालेगा कमान?

7 नवंबर को हुई अखाड़ों की बैठक में यह टकराव खुलकर सामने आया, जिसके परिणामस्वरूप अब एक नई अखाड़ा परिषद का गठन कर दिया गया है। यह पहली बार होगा जब महाकुंभ में तीन अखाड़ा परिषदें सक्रिय रहेंगी।

Akanksha Dikshit
Mahakumbh 2025

Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में अगले साल आयोजित होने वाले महाकुंभ (Maha Kumbh) को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं, लेकिन इस धार्मिक आयोजन के बीच अखाड़ों में आपसी मतभेद गहराता जा रहा है। 7 नवंबर को हुई अखाड़ों की बैठक में यह टकराव खुलकर सामने आया, जिसके परिणामस्वरूप अब एक नई अखाड़ा परिषद का गठन कर दिया गया है। इसका नाम “अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद” रखा गया है, जो महाकुंभ 2025 के दौरान अपनी स्वतंत्र भूमिका निभाएगी। यह पहली बार होगा जब महाकुंभ में तीन अखाड़ा परिषदें सक्रिय रहेंगी।

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अखाड़ों के बीच आपसी फूट से तीसरी अखाड़ा परिषद का हुआ गठन

महाकुंभ 2025 में हिस्सा लेने वाले अखाड़ों के बीच आंतरिक कलह और गुटबाजी की वजह से “अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद” नामक तीसरी परिषद का गठन किया गया है। नए गठित परिषद के प्रमुख, निर्मोही अणि अखाड़े (Nirmohi Akhara) के महंत राजेंद्र दास को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि दिगंबर अणि अखाड़े के महंत बाल हठयोगी को महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। महंत राजेंद्र दास (Mahant Rajendra Das) का दावा है कि बैरागी परंपरा के अखाड़ों समेत कुल 18 अखाड़ों ने इस नई परिषद का समर्थन किया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad ) में इस विभाजन के साथ ही, परिषद के दोनों पुराने धड़ों के एकीकरण के प्रयासों पर पानी फिर गया है। यह टूट अखाड़ों के आपसी संघर्ष को और भी जटिल बना सकती है, जिससे महाकुंभ आयोजन की व्यवस्था पर भी असर पड़ने की संभावना है।

विवाद के बाद नई परिषद का ऐलान

इस पूरे विवाद की शुरुआत कुंभ मेला कार्यालय में अखाड़ों की एक बैठक के दौरान हुई। बैठक में पहली कतार में बैठने को लेकर महंत राजेंद्र दास और जूना अखाड़े के अध्यक्ष महंत प्रेम गिरी के बीच झगड़ा हुआ। राजेंद्र दास ने आरोप लगाया कि महंत प्रेम गिरी ने उनसे अभद्रता की और उन पर थप्पड़ भी मारा। इसी विवाद के बाद महंत राजेंद्र दास ने अखाड़ा परिषद से अलग होकर नई अखाड़ा परिषद का गठन कर लिया। इसके संरक्षक पद पर अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास को नियुक्त किया गया है।

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वर्षों से रहा है वैष्णव और संन्यासी अखाड़ों के बीच मतभेद

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में वर्षों से ही वैष्णव और संन्यासी अखाड़ों के बीच गहरे मतभेद रहे हैं। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की 2021 में मृत्यु के बाद से परिषद दो धड़ों में बंट चुकी है। एक धड़े का नेतृत्व पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी कर रहे हैं, जिन्हें वैष्णव अखाड़ों का समर्थन प्राप्त है, जबकि दूसरे धड़े का नेतृत्व निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी कर रहे हैं, जिन्हें जूना अखाड़े के महंत हरि गिरी का समर्थन मिला है।

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महाकुंभ के आयोजन पर क्या पड़ेगा असर?

महाकुंभ के आयोजन में अखाड़ा परिषद का योगदान हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। कुंभ मेला प्रशासन और सरकार की तरफ से अखाड़ा परिषद की मार्गदर्शन में ही मेला व्यवस्था संपन्न की जाती है। अब अखाड़ा परिषद में तीन गुट बन जाने के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि महाकुंभ की व्यवस्था में यह फूट किस प्रकार का असर डालती है। महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में अखाड़ों की इस आंतरिक कलह और गुटबाजी से धार्मिक माहौल पर क्या असर पड़ेगा, यह समय के साथ ही स्पष्ट होगा।

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