उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला, जो विश्वभर से लाखों श्रद्धालुओं का आस्था का केन्द्र बना हुआ है, इस बार एक भीषण घटना का शिकार हुआ। महाकुंभ मेले के टेंटों में अचानक आग लगने से चारों ओर अफरा-तफरी मच गई और कई टेंट जलकर राख हो गए। इसके अलावा, आग के साथ जोरदार धमाके हुए, जिनमें सिलेंडर फटने की आवाजें सुनाई दीं, जिससे स्थिति और भयावह हो गई। प्रशासन और स्थानीय सुरक्षा बलों ने तुरंत कार्रवाई की और इलाके को सील कर दिया, लेकिन तब तक आग ने भारी तबाही मचाई थी। यह घटना मेला क्षेत्र में तात्कालिक सुरक्षा व्यवस्थाओं और अग्नि सुरक्षा के लिए एक बड़ा सवाल बन गई है।
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आग का कहर बिगड़ी स्थिति
यह घटना उस समय घटी जब मेला क्षेत्र के एक बड़े हिस्से में अस्थायी टेंटों में ठहरे लोग रात का खाना खा रहे थे। अचानक एक टेंट में आग की लपटें दिखाई दीं, और देखते ही देखते आग ने आसपास के टेंटों को अपनी चपेट में ले लिया। शुरुआत में यह आग सामान्य सी लग रही थी, लेकिन जैसे ही कुछ सिलेंडर फटे, स्थिति बिगड़ गई। धमाकों के साथ सिलेंडर फटने से आग की लपटें और तेज हो गईं, जिससे आग तेजी से फैलने लगी।
आग की लपटें इतनी तेज थीं कि टेंटों और अन्य अस्थायी संरचनाओं को जलते हुए देख पाना बेहद कठिन था। कई लोग आग के भयंकर रूप को देखकर भागने में सफल नहीं हो पाए और कुछ लोग घायल हो गए। आग के फैलने के बाद प्रशासन ने तुरंत दमकल विभाग और पुलिस की टीमों को घटनास्थल पर भेजा, लेकिन आग के फैलने की गति इतनी तेज थी कि राहत कार्य में समय लग गया।

धमाकों के साथ फटे सिलेंडर
आग की लपटें बढ़ने के साथ ही टेंटों के अंदर रखे गैस सिलेंडरों में धमाके हुए, जिससे स्थिति और भी भयावह हो गई। इन धमाकों के कारण आग की लपटें और तेज हो गईं और मेला क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। सिलेंडर के धमाके से न केवल आग के फैलने की गति तेज हुई, बल्कि आसपास के टेंटों और लोगों के लिए खतरा भी बढ़ गया। धमाकों की आवाजें दूर-दूर तक सुनाई दीं, और कई लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे।

दमकल और पुलिस की टीम ने जैसे-तैसे आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था। राहत कार्य जारी था, लेकिन जब तक आग पर नियंत्रण पाया गया, तब तक दर्जनों टेंट जलकर खाक हो गए थे और बहुत से लोग घायल हो गए थे। धमाके के कारण लोगों में दहशत का माहौल था, और कई घायल लोगों को तुरंत अस्पताल भेजा गया।
प्रशासन और सुरक्षा इंतजाम
प्रशासन ने घटनास्थल पर तत्काल कार्रवाई की और मेला क्षेत्र के प्रभावित इलाके को पूरी तरह से सील कर दिया। इलाके को खाली करवा लिया गया, और आग बुझाने के लिए पूरी दमकल की टीमों को जुटाया गया। आग पर काबू पाने के लिए मेला क्षेत्र में चारों ओर पानी का छिड़काव किया गया, और राहत कार्यों के लिए मेडिकल टीमों को भी घटनास्थल पर तैनात किया गया।पुलिस और सुरक्षा बलों ने भी सुरक्षा घेरे को मजबूत किया और घटनास्थल से लोगों को दूर किया। इसके अलावा, प्रशासन ने तुरंत आग लगने के कारणों की जांच शुरू कर दी है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि आग सिलेंडरों के फटने के कारण लगी या किसी और कारण से यह घटना घटी।

आग के कारण हुए नुकसान
आग की इस भयावह घटना में कई टेंट जलकर राख हो गए, जिससे इन टेंटों में ठहरे श्रद्धालुओं का सामान और अन्य मूल्यवान वस्तुएं भी नष्ट हो गईं। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि जान-माल का नुकसान न्यूनतम था, लेकिन आग के कारण कई लोग घायल हुए हैं। आग में जलने वाले टेंटों में कई साधु-संत भी ठहरे हुए थे, लेकिन सौभाग्यवश किसी की जान नहीं गई।कई लोग आग की लपटों से झुलस गए और उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया। राहत कार्यों के दौरान प्रशासन ने प्रभावित श्रद्धालुओं को अस्थायी आवास और चिकित्सा सहायता मुहैया कराई।
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सुरक्षा पर सवाल
महाकुंभ मेला एक विश्व प्रसिद्ध आयोजन है, और इसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु और संत जुटते हैं। ऐसे में इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था और विशेषकर आग से संबंधित सुरक्षा उपायों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। टेंटों में लगे गैस सिलेंडरों और अन्य ज्वलनशील सामग्री के कारण आग लगने की संभावना काफी बढ़ जाती है। यह घटना यह दर्शाती है कि मेला क्षेत्र में आग की सुरक्षा के उपायों को और भी सख्त बनाने की आवश्यकता है।प्रशासन को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। इसके अलावा, मेला क्षेत्र में टेंटों और अन्य अस्थायी संरचनाओं की सामग्री के लिए कड़े मानक तय किए जाने चाहिए, ताकि आग लगने का खतरा कम हो सके।

