Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में आस्था का महासंगम… संगम पर पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति – क्या आप तैयार हैं?

महाकुंभ (Maha Kumbh) का आयोजन हर 12 साल में प्रयागराज (Prayagraj) में होता है, और यह एक अत्यंत पवित्र अवसर माना जाता है. इस दौरान श्रद्धालुओं को गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में स्नान करने का विशेष अवसर मिलता है.

Aanchal Singh
maha kumbh 2025

Maha Kumbh 2025: संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में साल 2025 में होने वाले महाकुंभ (Maha Kumbh) मेले को लेकर उत्साह और तैयारियां जोरों पर हैं. इस पवित्र मेले में करीब 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है. प्रयागराज में हर साल माघ मेला तो होता है, लेकिन अर्धकुंभ और महाकुंभ का धार्मिक महत्व कुछ विशेष होता है. अर्धकुंभ का आयोजन हर 6 साल और महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है. आइए जानें कि महाकुंभ का महत्व क्या है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है….

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महाकुंभ का धार्मिक महत्व

महाकुंभ का धार्मिक महत्व

आपको बताते चले कि, महाकुंभ (Maha Kumbh) का आयोजन हर 12 साल में प्रयागराज (Prayagraj) में होता है, और यह एक अत्यंत पवित्र अवसर माना जाता है. इस दौरान श्रद्धालुओं को गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में स्नान करने का विशेष अवसर मिलता है. मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस पर्व के महत्व को समझने के लिए इसकी पौराणिक कथा को जानना आवश्यक है.

महाकुंभ की पौराणिक कथा: अमृत मंथन की कहानी

महाकुंभ की पौराणिक कथा: अमृत मंथन की कहानी

बता दे कि, कुंभ मेले (Kumbh Mela) की उत्पत्ति समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तो अमृत का घट निकला. अमृत को लेकर देवताओं और असुरों के बीच घोर युद्ध छिड़ गया, तब भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को अमृत घट की रक्षा का दायित्व सौंपा. गरुड़ जब अमृत लेकर उड़ रहे थे, तब अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिर गई. तभी से इन स्थानों पर हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है.ऐसी मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच यह युद्ध 12 दिनों तक चला था, जिसे मानव समय में 12 साल के बराबर माना गया है. इसलिए, हर 12 साल में इन स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है.

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महाकुंभ 2025: शाही स्नान की तिथियां

महाकुंभ 2025: शाही स्नान की तिथियां

महाकुंभ (Maha Kumbh) 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान से होगा और इसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ होगा. इन शाही स्नानों के अवसर पर साधु-संत और श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं शाही स्नान की प्रमुख तिथियां इस प्रकार हैं:

  • 14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति
  • 29 जनवरी 2025 – मौनी अमावस्या
  • 3 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
  • 12 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा
  • 26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि

महाकुंभ 2025 के लिए विशेष तैयारियां

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh government) ने महाकुंभ के सफल आयोजन हेतु 2,600 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. इस महाकुंभ (Maha Kumbh) में 40 करोड़ लोगों की संभावित भीड़ को देखते हुए सुरक्षा, यातायात और भीड़ प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए सरकार ने सभी आवश्यक तैयारियां की हैं.

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आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिकता का संगम

आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिकता का संगम

महाकुंभ (Maha Kumbh) केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का जीवंत प्रतीक भी है. यह पर्व लोगों को अपनी आस्था को पुनः जागृत करने और ईश्वर के प्रति निकटता का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है. प्रयागराज (Prayagraj) में महाकुंभ 2025 का आयोजन, आस्था, एकता और श्रद्धा के इस अद्वितीय पर्व में शामिल होकर श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति का अनुभव कराएगा.

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