महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन इस बार भव्यता और धार्मिक उत्साह से भरपूर हो रहा है। यह मेला भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां लाखों श्रद्धालु हर साल संगम में डुबकी लगाने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए आते हैं। इस वर्ष महाकुंभ में एक अनोखा और ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक ने महामंडलेश्वर का पद संभाला और इस मेला में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
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महामंडलेश्वर का पद ग्रहण
BJP के विधायक ने इस महाकुंभ में महामंडलेश्वर का पद ग्रहण किया, जो एक विशेष धार्मिक पद होता है। महामंडलेश्वर का पद उन संतों और साधु-संतों को दिया जाता है, जिन्होंने समाज में धार्मिक योगदान दिया है और जिनका आचार-व्यवहार उच्च धार्मिक मानकों पर खरा उतरता है। विधायक के इस सम्मान को लेकर इलाके में चर्चाएँ तेज हो गईं हैं। उनका इस पद पर चयन एक प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है, जो राजनीति और धर्म के मिलाजुला स्वरूप को दर्शाता है। इसे विशेष रूप से बीजेपी के नेतृत्व की धार्मिक नीति और उसके लोककल्याण के दृष्टिकोण से जोड़ा जा रहा है।
लेटे हनुमान मंदिर पर श्रद्धालुओं का सैलाब

महाकुंभ में इस बार लेटे हनुमान मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे भक्तों की संख्या इतनी अधिक थी कि लाइन लगभग 1 लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं की बन गई थी। भक्तों की अपार भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने अतिरिक्त व्यवस्था की थी, लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि मंदिर में प्रवेश करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।
लेटे हनुमान मंदिर में स्थित हनुमान जी की भव्य मूर्ति के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आए थे और यह स्थान इस वर्ष विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र बना।मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं के बीच एक अजीब सा माहौल था, जिसमें भक्ति और श्रद्धा का रंग गहराया हुआ था। यहां हर कोई अपने दुखों से मुक्ति पाने और भगवान हनुमान से आशीर्वाद लेने के लिए आया था। भक्तों का कहना था कि इस मंदिर में दर्शन से उनकी जीवन की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं और वह मानसिक शांति की प्राप्ति करते हैं।

संगम में डुबकी लगाने का संघर्ष
महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कई स्थानों पर डुबकी लगाने के लिए कोई जगह नहीं मिल पा रही थी। संगम के तट पर आने वाले भक्तों के लिए प्रशासन ने भारी सुरक्षा इंतजाम किए थे, लेकिन भीड़ के चलते स्थिति विकट हो गई थी। कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें घंटों इंतजार करने के बाद भी संगम में स्नान करने का अवसर नहीं मिल सका।
पिछले सालों से कहीं ज्यादा भीड़
इस बार महाकुंभ में आने वाले भक्तों की संख्या पिछले सालों से कहीं ज्यादा रही, जिससे संगम में डुबकी लगाने का अनुभव कुछ अलग ही रहा।श्रद्धालुओं ने इस भीड़ को सकारात्मक रूप में देखा और उनका मानना था कि जब तक अधिक लोग इस पवित्र आयोजन में शामिल होते हैं, तब तक यह महाकुंभ और भी पवित्र और भव्य होता है। हालांकि, प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाया, जैसे कि घाटों पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी रखना।
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राजनीति और धर्म का संगम
महाकुंभ में इस बार राजनीति और धर्म का संगम भी देखा गया। बीजेपी के विधायक द्वारा महामंडलेश्वर बनने की घटना ने राजनीतिक दृष्टिकोण से भी ध्यान आकर्षित किया। उनके इस कदम को धार्मिक और सामाजिक संदर्भ में देखा जा रहा है, जहां राजनीतिक दलों और संतों के बीच बढ़ते रिश्तों की नई तस्वीर उभर रही है। भाजपा के नेता इसे अपनी पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत मानते हैं, क्योंकि इससे पार्टी को धार्मिक रूप से सक्रिय और जनसमर्थन में मजबूती मिलती है।वहीं, विपक्षी दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं और इसे चुनावी समय में धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करने के रूप में देखा है। बावजूद इसके, महाकुंभ के इस आयोजन में भाजपा विधायक का यह कदम एक बड़ा राजनीतिक और धार्मिक संकेत माना जा रहा है।
सुरक्षा और व्यवस्था पर ध्यान
महाकुंभ में बढ़ती श्रद्धालु संख्या और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कई सुरक्षा कदम उठाए थे। तटीय क्षेत्रों पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। संगम क्षेत्र में भीड़ की वजह से दुर्घटनाओं के डर से विशेष उपाय किए गए थे। इसके अलावा, प्रशासन ने ट्रैफिक व्यवस्था, सफाई, और चिकित्सा सुविधा पर भी विशेष ध्यान दिया था। हालांकि, इतनी विशाल भीड़ के बावजूद समग्र व्यवस्था की तारीफ की गई थी।