MahaKumbh 2025 :महाकुंभ (Mahakumbh 2025) के संगम की रेती पर भगवान शिव की भक्ति का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत हो रहा है। स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा का शिविर सेक्टर-6 में नागवासुकि मंदिर के पास लगाया गया है, जहां शिव साधना के एक नए आयाम की शुरुआत हो चुकी है। इस शिविर में भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्रों का जाप किया जा रहा है, और इसके साथ ही भगवान शिव की भक्ति में डूबे संत और श्रद्धालु एकत्रित हो रहे हैं। यह साधना पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक चलेगी।
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रुद्राक्ष से बने 12 ज्योतिर्लिंग और 11 हजार त्रिशूल

स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा के शिविर में शिवभक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं पांच करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से बने द्वादश शिवलिंग, जिनमें 12 ज्योतिर्लिंग का स्वरूप प्रतीत हो रहा है। इन रुद्राक्षों से बने शिवलिंग में भगवान शिव के दिव्य स्वरूप की महिमा को महसूस किया जा सकता है। शिवलिंगों के पास 11 हजार त्रिशूल लगाए गए हैं, जिनसे शिव का वातावरण और भी शिवमय हो गया है। इस अद्वितीय संयोजन से न केवल भक्तों को आस्था की नई ऊंचाई मिल रही है, बल्कि यह आयोजन महाकुंभ के श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव बन चुका है।
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महाशिवरात्रि तक शिव साधना

स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा के नेतृत्व में इस शिव साधना में हर दिन भगवान शिव के 11 करोड़ पंचाक्षर मंत्रों का जाप किया जा रहा है। साथ ही, महाशिवरात्रि तक सवा करोड़ दीपक जलाए जाएंगे, जिससे वातावरण में भगवान शिव की उपस्थिति महसूस की जाएगी। इस अवसर पर संत और श्रद्धालु मिलकर सवा करोड़ आहुतियां भी डालेंगे, जिससे समर्पण और भक्ति की शक्ति को और भी प्रगाढ़ किया जाएगा।
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शिव के मंत्रों और साधना का महत्व
स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी मौनी बाबा का कहना है कि भगवान शिव समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। इस शिव साधना का उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देना है, बल्कि यह समाज के उत्थान, हिंदुओं की रक्षा, गोरक्षा, और खालिस्तानी आतंकवाद के प्रभाव को समाप्त करने जैसे महात्मय उद्देश्य भी रखता है। इस शिव साधना से भारत के उत्थान के साथ-साथ पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि की कामना की जा रही है।

इस तरह महाकुंभ में भगवान शिव के दर्शन और भक्ति का यह अनोखा संगम पूरे क्षेत्र को शिवमय बना रहा है, जहां श्रद्धालु न केवल अपनी आस्थाओं को पाकर शांति का अनुभव कर रहे हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का भी गहरा सम्मान बढ़ा रहे हैं।