Mahakumbh 2025 : पहली बार कब और क्यों हुआ महाकुंभ था? जानिए कुंभ से जुड़े रहस्यों का सच..

Mahakumbh 2025 :महाकुंभ मेला भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है, जिसे हर बार करोड़ों श्रद्धालु और तीर्थयात्री हिस्सा लेते हैं।

Mona Jha
Mahakumbh 2025
Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025 : कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय समाज की उत्सवधर्मिता और सामाजिक भाव का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला कुंभ मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस मेले के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंभ मेला कितना पुराना है और इसका इतिहास क्या है? आइए, जानते हैं कुंभ मेला से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी और उसके महत्व को।

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कब और कैसे हुआ था शुरू?

कुंभ मेला का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और इसे सनातन धर्म के महत्वपूर्ण पर्व के रूप में पूजा जाता है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार कुंभ मेला लगभग 850 साल पुराना माना जाता है, हालांकि कुछ दस्तावेजों में इसके प्रारंभ को 525 ईसा पूर्व भी बताया गया है।

प्राचीन समय में कुंभ मेला एक संप्रभु धार्मिक आयोजन था, जिसका वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। गुप्त काल में कुंभ मेले का आयोजन सुव्यवस्थित रूप से होने की जानकारी मिलती है, और सम्राट हर्षवर्धन के काल (617-647 ई.) में इस आयोजन का महत्व और बढ़ गया था। इसके बाद, श्रीमद आघ जगतगुरु शंकराचार्य और उनके शिष्य सुरेश्वराचार्य ने संगम तट पर स्नान की व्यवस्था को और सुव्यवस्थित किया।

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वेदों और पुराणों में कुंभ मेला का उल्लेख

कुंभ मेला का इतिहास वेदों और पुराणों में भी बहुत पुराना है। वेदों में “कुंभ” शब्द जल-प्रवाह या घड़े के रूप में प्रयोग होता है, लेकिन इसका संबंध कुंभ मेला से नहीं था। ऋग्वेद परिशिष्ट में प्रयाग और स्नान तीर्थ का उल्लेख किया गया है, जो कुंभ के महत्व को दर्शाता है। इसके अलावा, महाभारत में भी प्रयाग में स्नान का महत्व बताया गया है, और यह तीर्थ यात्रा पापों के प्रायश्चित का साधन मानी जाती थी।

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कुंभ मेला और तीर्थ यात्रा का संबंध

महाभारत के अनुसार, जो व्यक्ति माघ माह में प्रयाग के तट पर स्नान करता है, वह निष्कलंक होकर स्वर्ग को प्राप्त करता है। इसके साथ ही भारतीय ग्रंथों में प्रयाग और अन्य नदियों के किनारे आयोजित होने वाले धार्मिक त्योहारों का भी उल्लेख मिलता है। यह स्थान वही हैं, जहां वर्तमान में कुंभ मेला आयोजित होता है।

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अद्वितीय प्रतीक है, जो समय के साथ विकसित होते हुए आज भी लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज के हर वर्ग को एकजुट करने का कार्य भी करता है।

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