Mahakumbh 2025 :महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) में जंगम जोगियों (Jangam Jogi) की विशेष उपस्थिति ने इस धार्मिक आयोजन को और भी खास बना दिया है। ये जोगी अपनी अनूठी परंपराओं और वेशभूषा के कारण श्रद्धालुओं और साधुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। शिव भक्ति में लीन ये जोगी केवल टल्ली में दान स्वीकार करते हैं और माया से दूर रहते हैं, जो उनके अद्वितीय जीवन और पूजा पद्धति को दर्शाता है।
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जंगम जोगियों की पहचान

जंगम जोगी शैव परंपरा से जुड़े होते हैं और इनकी पूजा का तरीका विशेष रूप से शिव के साथ जुड़ा हुआ है। जंगम जोगी शिवजी की जांघ से उत्पन्न माने जाते हैं, और इसी कारण से इन्हें शिव के सीधे अनुयायी माना जाता है। इनकी वेशभूषा में दशनामी पगड़ी, गेरुआ लुंगी और कुर्ता शामिल होता है, और तांबे के गुलदान में मोर पंखों का गुच्छा भी इनकी पहचान का एक प्रमुख हिस्सा है। इनका एक प्रमुख यंत्र होता है, जिसे ‘टल्ली’ कहा जाता है। यह यंत्र घंटी जैसा होता है, और यही जोगी भिक्षा प्राप्त करने के लिए उपयोग करते हैं।
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टल्ली में दान और माया से दूरी

जंगम जोगी किसी भी प्रकार का धन सीधे हाथ में नहीं लेते। उनकी परंपरा के अनुसार, वे केवल टल्ली में ही दान स्वीकार करते हैं। यह मान्यता है कि भगवान शिव ने इन्हें माया (धन) से दूर रहने का आदेश दिया था। इसी कारण वे माया के प्रति निराकार रहते हुए अपनी साधना और भक्ति में लीन रहते हैं। यह उनकी विशेष पहचान है, जो उन्हें अन्य साधुओं से अलग करती है।
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शिव की जांघ से उत्पत्ति की पौराणिक कथा

जंगम जोगियों के उत्पत्ति से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है, जिसके अनुसार, भगवान शिव ने अपनी जांघ से इन जोगियों को उत्पन्न किया था। यह कथा शिव-पार्वती के विवाह से जुड़ी है, जब शिव ने विष्णु और ब्रह्मा को दक्षिणा देने का प्रयास किया था, लेकिन दोनों ने उसे स्वीकार नहीं किया। इसके बाद शिव ने जंगम जोगियों को दक्षिणा दी और विवाह की रस्में पूरी की। यही कारण है कि जंगम जोगी शिव के विशिष्ट अनुयायी माने जाते हैं।
महाकुंभ में जंगम जोगियों का योगदान

महाकुंभ 2025 में जंगम जोगियों की उपस्थिति ने संगम की पावन भूमि को और भी पवित्र बना दिया है। ये जोगी अपनी भक्ति और परंपराओं का प्रदर्शन करते हुए भजन गाते हैं और अन्य साधुओं से भिक्षा मांगते हैं। इनकी टोली में 10-12 जोगी होते हैं, जो पूरे महाकुंभ में घूमकर अपनी विशेष परंपराओं को श्रद्धालुओं के बीच साझा करते हैं।
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जंगम जोगियों की परंपरा

जंगम जोगियों की परंपरा में हर परिवार से एक सदस्य को साधु बनाया जाता है, ताकि यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहे। भारत में इन जोगियों की संख्या लगभग 5,000 से 6,000 के बीच मानी जाती है। महाकुंभ में इनकी भक्ति और परंपराएं श्रद्धालुओं के दिलों को छूने वाली हैं और इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

