Mahakumbh: वसंत पंचमी (Vasant Panchami) के अवसर पर त्रिवेणी संगम (Triveni Sangam) में महाकुंभ (Mahakumbh) के तीसरे अमृत स्नान पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस विशेष पर्व पर नागा संन्यासियों के साथ देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने के लिए संगम पहुंचे। हर-हर गंगे, बम बम भोले और जय श्री राम के उद्घोष से महाकुंभ क्षेत्र गूंज उठा। वसंत पंचमी के अमृत स्नान में भाग लेने के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था, और इस मौके पर अखाड़ों ने संगम में डुबकी लगाई।
पहला स्नान, सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े ने किया

संगम में सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े के संतों ने साढ़े चार बजे पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान किया। इसके बाद पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने भी अमृत स्नान किया। जूना अखाड़े में नागाओं की भारी फौज रही, और किन्नर अखाड़ा भी इस पुण्य अवसर पर शामिल हुआ। इस दौरान श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई, जो माहौल को और भी पवित्र बना रही थी।
अधिकांश श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान

उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के अनुसार, वसंत पंचमी के अमृत स्नान पर सुबह 8 बजे तक 62.25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। इसके अलावा, 2 फरवरी तक 34.97 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा चुके थे। महाकुंभ 2025 का अंतिम अमृत स्नान वसंत पंचमी के दिन हुआ, जो इस खास अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण बन गया।
संगम पर श्रद्धालुओं का उमड़ा हुजूम

वसंत पंचमी के दिन संगम नोज पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। हर तरफ आस्था का सागर उमड़ता हुआ दिखाई दे रहा था। लाल मार्ग, काली मार्ग और त्रिवेणी मार्ग समेत सभी रास्तों से श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने के लिए संगम की ओर बढ़ रहे थे। इस बार महाकुंभ में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे। मौनी अमावस्या स्नान पर्व में हुए हादसे से सबक लेते हुए अमृत स्नान के लिए अखाड़ों के लिए सेफ कॉरिडोर बनाया गया था, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के अपने स्थान तक पहुंच सकें।
सुरक्षा इंतजाम और प्रशासन की तत्परता

महाकुंभ (Mahakumbh) प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया था। मेला क्षेत्र में पुलिस, पैरामिलिट्री और एनडीआरएफ के जवान तैनात किए गए थे। मेला क्षेत्र के एंट्री प्वाइंट्स, संगम और पांटून पुलों पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही थी। इसके अलावा, सड़कों पर वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। मेला प्रशासन ने पार्किंग और खाली स्थानों पर भी श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की थी।
पारंपरिक उद्घोष और आस्था का माहौल

संगम जाने वाली सड़कों पर हर तरफ आस्था, उत्साह और उल्लास का माहौल था। श्रद्धालु हर कदम पर जय गंगा मैया, हर-हर महादेव और जय श्रीराम के गगनभेदी उद्घोष करते हुए संगम की ओर बढ़ रहे थे। रेलवे स्टेशनों पर भी स्नानार्थियों की भारी भीड़ आ रही थी। इस विशेष अवसर पर पवित्र स्नान के लिए श्रद्धालुओं में जोश और उत्साह देखा गया, और मेला प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से जरूरी इंतजाम किए थे।
विशेष शुभ योगों में स्नान

वसंत पंचमी के अमृत स्नान के दौरान कई शुभ योग बने थे, जो इस दिन की महत्ता को और बढ़ा रहे थे। रवि योग 3 फरवरी की रात 12:52 से सुबह 07:08 बजे तक था, जबकि ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:24 से 06:16 बजे तक था। अमृत काल रात 08:24 से 09:53 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:57 बजे तक था। इन खास मुहूर्तों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति की मान्यता है।
विदेशी श्रद्धालुओं ने भी लिया स्नान
वसंत पंचमी पर विदेशी श्रद्धालुओं ने भी त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। इटली, क्रोएशिया और ऑस्ट्रिया से आए श्रद्धालुओं ने इस अद्वितीय अनुभव को जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर बताया। उन्होंने न केवल स्नान किया बल्कि भारतीय संस्कृति में पूरी तरह रम गए और अन्य तीर्थयात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। यह पर्व विदेशी श्रद्धालुओं के लिए भी अविस्मरणीय अनुभव बन गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निगरानी

आपको बता दे कि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वसंत पंचमी के पावन अवसर पर अमृत स्नान की व्यवस्था की निगरानी के लिए अपने सरकारी आवास स्थित वॉर रूम में बैठक की। उन्होंने अधिकारियों के साथ लगातार अपडेट प्राप्त किए और सुनिश्चित किया कि स्नान के दौरान कोई असुविधा न हो। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था और यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की दिशा में निर्देश दिए, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
अंत में महाकुंभ का पवित्र स्नान

वसंत पंचमी के इस पवित्र अवसर पर महाकुंभ (Mahakumbh) की आखिरी अमृत स्नान प्रक्रिया ने एक अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम का रूप लिया। श्रद्धालुओं का आस्था से भरा हुजूम त्रिवेणी संगम में उमड़ते हुए, इस आयोजन को एक यादगार अनुभव बना गया।