Maharajganj: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एक ओर तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की बात करती है और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात कहती है लेकिन भ्रष्टाचार का एक ताजा मामला उत्तर प्रदेश के महराजगंज से सामने आया है। योगी सरकार भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों पर लगातार कार्रवाई भी कर रही है लेकिन अफसर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं वहीं दूसरी ओर महराजगंज के निचलौल ब्लॉक में कुछ अधिकारियों द्वारा खुलेआम सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।ग्राम सभा डोमा में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने शासन-प्रशासन की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
महराजगंज में भ्रष्टाचार का खुलासा

प्राप्त जानकारी के अनुसार,महराजगंज के डोमा ग्राम पंचायत में राज्य वित्त आयोग की निधि से दवा छिड़काव का कार्य कराया गया।इस कार्य में बिहारी, प्रेमलाल और हरि नामक मजदूरों ने हिस्सा लिया।हैरानी की बात यह है कि…यही मजदूर उसी दिन मनरेगा योजना के अंतर्गत चल रहे चकबंदी कार्य में भी कार्यरत दिखाए गए हैं।
सचिव और रोजगार सेवक की मिलीभगत से भ्रष्टाचार
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि,लगातार 5 दिनों तक इन तीन मजदूरों की उपस्थिति दोनों योजनाओं में दर्ज की गई है,यानी एक ही दिन में दो-दो जगह काम करने का दावा।जबकि जमीनी हकीकत यह है कि,कोई भी व्यक्ति एक समय पर दो स्थानों पर कार्य नहीं कर सकता।सूत्रों की मानें तो यह पूरा खेल निचलौल ब्लॉक के सचिव और रोजगार सेवक की मिलीभगत से रचा गया है।फर्जी हाजिरी लगाकर राज्य वित्त और मनरेगा दोनों योजनाओं से भुगतान निकालने की योजना बनाई गई और सरकारी धन की खुलेआम बंदरबांट की गई।
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

यह मामला सिर्फ एक ग्राम सभा तक सीमित नहीं हो सकता अगर विभाग की ओर से निष्पक्ष जांच की जाए तो कई और गांवों में भी इस तरह के घोटाले सामने आ सकते हैं।अब देखना यह होगा कि,प्रशासन इस भ्रष्टाचार पर क्या रुख अपनाता है। क्या ऐसे भ्रष्ट सचिवों और जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी फाइलों में दबा दिया जाएगा?जनता और जागरूक नागरिक अब इस मामले में त्वरित जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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