Maharashtra News: शिवसेना (यूबीटी) ने शुक्रवार (12 सितंबर) को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में मतदान को अनिवार्य बनाने की मांग की। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि जो राजनीतिक दल इन चुनावों से दूरी बनाते हैं या निर्वाचकों की ‘खरीद-फरोख्त’ में शामिल होते हैं, उनका पंजीकरण रद्द कर देना चाहिए। संपादकीय में यह भी तर्क दिया गया कि मतदान से दूर रहना असंवैधानिक है और इससे लोकतंत्र की संवैधानिक प्रक्रिया पर सवाल उठता है।
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केंद्र और विपक्षी दलों के बहिष्कार पर निशाना
आपको बता दे कि, संपादकीय में विशेष रूप से भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेतृत्व वाले के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) और बीजू जनता दल (BJD) का उल्लेख किया गया, जिन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया। शिवसेना (यूबीटी) ने इसे केंद्रीय जांच एजेंसियों से डर कर लिया गया कदम बताया और कहा कि यह असंवैधानिक है।
सी पी राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति पद की जीत
सत्तारूढ़ बीजेपी नीत एनडीए के उम्मीदवार सी पी राधाकृष्णन ने विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराया। हालांकि, पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने पंजाब में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद न मिलने का हवाला देते हुए चुनाव का बहिष्कार किया। ‘सामना’ ने संपादकीय में कहा कि ऐसे दलों के बहिष्कार से लोकतंत्र कमजोर होता है।
मतदान को अनिवार्य करने और भ्रष्टाचार रोकने की मांग
शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि मतदान को अनिवार्य किया जाना चाहिए और ऐसे दलों के खिलाफ सख्त कानून बनाना चाहिए जो खरीद-फरोख्त में शामिल होते हैं या चुनावों का बहिष्कार करते हैं। पार्टी ने कहा कि एक ओर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान अनिवार्य बनाने की बात होती है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल संवैधानिक प्रक्रिया से दूर रहते हैं।
निर्वाचक मंडल और मतदान प्रक्रिया पर सवाल
राष्ट्रपति का चुनाव संसद और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के माध्यम से होता है, जबकि उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा होता है। शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि निर्वाचन आयोग को उच्च संवैधानिक पदों के चुनाव में भी गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिए और खरीद-फरोख्त रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए।
मत परिणाम और अवैध वोटों पर उठाए सवाल
राज्यसभा के महासचिव पी. सी. मोदी ने बताया कि कुल 781 निर्वाचकों में से 767 ने वोट डाला, जिसमें 752 वैध और 15 अवैध वोट थे। राधाकृष्णन को 452 और रेड्डी को 300 मत मिले। ‘सामना’ ने आरोप लगाया कि अधिकतर अवैध वोट रेड्डी को मिले और कुछ सांसदों ने ‘क्रॉस-वोटिंग’ की, जिसके लिए विदेश यात्रा जैसी सुविधाएं दी गई।
निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग
शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा चुनाव से दूरी और खरीद-फरोख्त लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं। संपादकीय में यह भी कहा गया कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे शीर्ष संवैधानिक पदों के चुनाव में किसी भी सांसद के लिए अनुपस्थिति या विश्वासघात बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
