Maharashtra News: महाराष्ट्र में त्रिभाषा विवाद पर सियासी घमासान, ठाकरे बंधुओं ने लिया हिंदी विरोध का मोर्चा

Aanchal Singh
Uddhav Thackeray and Raj Thackeray
Uddhav Thackeray and Raj Thackeray

Maharashtra News: महाराष्ट्र में भाषा को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है। राज्य सरकार द्वारा मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का आदेश जारी किया गया था। इस आदेश ने विपक्षी दलों को सरकार के खिलाफ लामबंद कर दिया है।

Read More: Pune Accident : पुणे में ढाबे में घुसी बेकाबू कार, नाबालिग समेत 9 लोगों की मौत

राज ठाकरे का ऐलान: बिना बैनर के जनआंदोलन

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने त्रिभाषा नीति के विरोध में सड़कों पर उतरने का ऐलान किया है। उन्होंने 5 जुलाई को गिरगांव चौपाटी से विरोध मार्च निकालने की घोषणा की है। खास बात यह है कि इस मार्च में कोई भी राजनीतिक बैनर नहीं होगा। राज ठाकरे ने चेतावनी दी कि जो इस मार्च में शामिल नहीं होंगे, उन्हें भी याद रखा जाएगा।

उद्धव ठाकरे भी आंदोलन में कूदे

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे के आंदोलन को पूरा समर्थन देने की घोषणा की है। उन्होंने इसे “भाषाई आपातकाल” करार देते हुए मराठी जनता, उद्योग जगत और खेल क्षेत्र की हस्तियों से अपील की है कि वे राजनीतिक मतभेद भुलाकर इस आंदोलन में शामिल हों। उद्धव का कहना है कि महाराष्ट्र में हिंदी थोपने की कोई भी कोशिश सफल नहीं हो सकती।

ठाकरे बंधुओं के पीछे राजनीतिक गणित

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के इस आक्रामक रुख के पीछे राजनीतिक समीकरण भी काम कर रहे हैं। जहां राज ठाकरे की राजनीति मराठी अस्मिता पर आधारित रही है, वहीं हाल के चुनावों में एमएनएस की गिरती साख ने उन्हें फिर से प्रासंगिक बनने का मौका तलाशने को मजबूर कर दिया है। मराठी-गैर मराठी मुद्दा अब दोबारा उनके लिए सियासी जमीन तैयार कर सकता है।

उद्धव ठाकरे को भी दिख रहा है मौका

लोकसभा चुनावों में महा विकास अघाड़ी को समर्थन देने वाले मराठा मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में बिखराव दिखाया था। ऐसे में उद्धव ठाकरे को लगता है कि मराठी अस्मिता के नाम पर हिंदी विरोध उन्हें फिर से मराठी वोट बैंक के करीब ला सकता है। इसीलिए उन्होंने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का फैसला किया है।

शरद पवार ने सुझाया समाधान, लेकिन सियासत जारी

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने इस विवाद में संतुलित रुख अपनाया। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि वह हिंदी को अनिवार्य बनाने की जिद छोड़ दे, क्योंकि इससे बच्चों की मातृभाषा से दूरी बढ़ सकती है। पवार का मानना है कि हर राज्य में मातृभाषा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

सरकार का कदम पीछे, फिर भी विपक्ष हमलावर

विपक्ष के तीखे विरोध के बाद महाराष्ट्र सरकार ने आदेश में संशोधन करते हुए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा की बजाय वैकल्पिक बना दिया है। लेकिन यह फैसला भी राजनीतिक विवाद को खत्म नहीं कर पाया है। ठाकरे बंधु इसे अब भी मराठी अस्मिता का मुद्दा मानकर आंदोलन की तैयारी में जुटे हुए हैं।

Read More: Sanjay Raut : संजय राउत ने पीएम मोदी के इस बयान पर किया कटाक्ष, कहा- ‘जब तक … मोदी पर कौन विश्वास करेगा?’

Share This Article

अपना शहर चुनें

Exit mobile version