Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल देखने को मिल रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट बैठक में केवल एकनाथ शिंदे शामिल हुए, जबकि उनके किसी भी मंत्री ने भाग नहीं लिया। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में तूल पकड़ लिया है और माना जा रहा है कि पिछले कई दिनों से शिंदे गुट और बीजेपी के बीच अनबन चल रही थी।
Maharashtra Politics: शिवसेना के सभी मंत्री मंत्रालय में मौजूद
सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान शिवसेना के सभी मंत्री मंत्रालय में मौजूद थे, लेकिन इसके बावजूद वे कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं हुए। वहीं, एकनाथ शिंदे के मंत्री सीएम ऑफिस में ही बैठे रहे। रिपोर्ट्स में कहा गया कि कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद शिवसेना के सभी मंत्री मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत करेंगे और अपनी नाराजगी जाहिर करेंगे।
Maharashtra Politics: मीटिंग की तकनीकी जानकारी
जानकारी के लिए बता दें कि कैबिनेट मीटिंग बिल्डिंग की सातवीं मंजिल पर आयोजित की गई थी। वहीं, शिवसेना के सभी मंत्री छठी मंजिल पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दफ्तर में बैठे रहे। ऐसे में बैठक के दौरान दोनों गुटों के बीच स्पष्ट दूरी और तनाव देखा गया। यह पहली बार नहीं है जब शिंदे गुट और मुख्य शिवसेना मंत्रियों के बीच खिंचाव सार्वजनिक रूप से सामने आया हो।
एकनाथ शिंदे के मंत्रियों की नाराजगी
पिछले कई महीनों से महायुति में शिंदे गुट और बीजेपी के बीच विवाद की खबरें आ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे के मंत्री लंबे समय से नाराज थे और उनका मानना है कि विभागों में निर्णय लेने से पहले उनकी राय को अनदेखा किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर धाराशिव के गार्जियन मंत्री प्रताप सरनाइक से पूछे बिना एक विधायक ने निधि ले ली थी। इसे लेकर शिंदे और उनके मंत्रियों में असंतोष पैदा हुआ।
नाराजगी का खुलासा
शिंदे गुट के मंत्रियों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए एक ही तरीका अपनाया, जो कि कैबिनेट मीटिंग में भाग न लेना था। सूत्रों का कहना है कि यह कदम अचानक नहीं उठाया गया बल्कि लंबे समय से दबे हुए असंतोष का परिणाम है। प्रताप सरनाइक और अन्य शिंदे गुट के मंत्री सरकार की नीतियों और निर्णय प्रक्रिया से असंतुष्ट थे। उनका कहना है कि बिना उनकी सलाह के फैसले लिए जा रहे हैं, जो गुट के लिए स्वीकार्य नहीं था।
राजनीतिक माहौल पर प्रभाव
शिंदे गुट की यह कार्रवाई महाराष्ट्र की सियासी स्थिरता पर असर डाल सकती है। अभी यह साफ नहीं है कि एकनाथ शिंदे के मंत्रियों की कैबिनेट से अनुपस्थिति के बाद आगे की रणनीति क्या होगी। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में महायुति के भीतर कई बड़े बदलाव हो सकते हैं और दोनों पक्षों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में यह घटना स्पष्ट रूप से बताती है कि शिंदे गुट और बीजेपी के बीच विश्वास की कमी बढ़ रही है। एकनाथ शिंदे और उनके मंत्रियों की नाराजगी लंबे समय से पनप रही थी और कैबिनेट बैठक में उनकी अनुपस्थिति इस असंतोष का सार्वजनिक प्रदर्शन है। आने वाले दिनों में इस खींचतान से राज्य सरकार और महायुति गठबंधन की राजनीतिक दिशा पर असर पड़ सकता है।
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