Maharashtra Politics: शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जबकि पार्टी और चुनाव चिन्ह का मालिकाना हक पहले ही साफ हो चुका है, फिर भी धनुष-बाण सिंबल को लेकर लड़ाई जारी है। उद्धव ठाकरे ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर तुरंत फैसला देने से इनकार कर दिया। उद्धव ठाकरे की शिवसेना-यूबीटी ने कोर्ट से 2 दिसंबर के स्थानीय निकाय चुनावों से पहले सिंबल पर फैसला करने की अपील की थी।
Maharashtra Politics: सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत फैसला करने से इनकार किया
अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को निर्धारित की है। इस सुनवाई में शिवसेना की अयोग्यता और एनसीपी के चुनाव चिन्ह विवाद दोनों मामलों को देखा जाएगा।बीएमसी चुनाव से पहले यह उद्धव के लिए झटका साबित हुआ है। वर्तमान में धनुष-बाण सिंबल एकनाथ शिंदे के पास ही रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के अगले फैसले तक उद्धव इसे उपयोग नहीं कर पाएंगे। कोर्ट आगे तय करेगा कि चुनाव चिन्ह उद्धव को मिलेगा या शिंदे के पास ही रहेगा।
Maharashtra Politics: जस्टिस सूर्यकांत का कटाक्ष
सुप्रीम कोर्ट में उद्धव की ओर से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के कारण मामले की जल्दी सुनवाई हो। शिंदे गुट के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पिछले चुनाव बिना मूल चिन्ह के ही सम्पन्न हो चुके हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की, “इस देश में राजनीतिक दल हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं।”चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और धनुष-बाण चिन्ह भी उन्हें आवंटित किया था। उद्धव ठाकरे ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता के मामले की सुनवाई भी साथ में होगी।
उद्धव-यूबीटी के सांसदों की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान शिवसेना यूबीटी के सांसद अनिल देसाई दिल्ली पहुंचे। उन्होंने उम्मीद जताई कि जस्टिस सूर्यकांत स्थानीय निकाय चुनावों से पहले फैसला देंगे, ताकि लोकतंत्र बनाए रखा जा सके। हालांकि आज के फैसले में कोई निर्णय नहीं हुआ। शिवसेना सिंबल विवाद ने महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। वर्तमान में धनुष-बाण शिंदे गुट के पास है, जबकि उद्धव गुट की चुनौती अगले साल सुप्रीम कोर्ट में तय होगी। बीएमसी चुनाव और आगामी चुनावों के मद्देनजर दोनों गुटों की निगाहें कोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हुई हैं।
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