Mahua Moitra: तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ती नजर आ रही हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उनके खिलाफ चल रही जांच की रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी है। अब यह लोकपाल पर निर्भर करता है कि वह इस रिपोर्ट के आधार पर महुआ मोइत्रा के खिलाफ आगे क्या कार्रवाई करता है। यह मामला पिछले साल से संसद और सियासत में खासा चर्चित रहा है।
महुआ मोइत्रा पर ‘कैश फॉर क्वेरी’ का आरोप उनके पूर्व साथी और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई ने लगाया था। उन्होंने 14 अक्टूबर, 2023 को CBI में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप था कि सांसद ने संसद में सवाल पूछने के बदले घूस ली। इस आरोप के बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया था और कई राजनीतिक बयानबाजियां भी हुईं।
भाजपा सांसद ने लोकसभा से सस्पेंशन की उठाई थी मांग
देहाद्राई की शिकायत के बाद, 15 अक्टूबर 2023 को भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने लोकसभा में महुआ मोइत्रा को सदन से सस्पेंड करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि सांसद ने अपने पद और संसद की गरिमा का दुरुपयोग किया है। इस मांग के साथ मामले को राजनीतिक रंग भी मिला और संसद में चर्चा तेज़ हो गई।
महुआ मोइत्रा पर बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से महंगे गिफ्ट लेने के आरोप भी लगे थे। खास बात यह रही कि महुआ ने इस बात को खुद स्वीकार भी किया था कि उन्होंने गिफ्ट्स लिए थे। हालांकि, उन्होंने इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक साजिश करार दिया और आरोपों से इनकार करते हुए खुद को निर्दोष बताया।
दिसंबर 2023 में लोकसभा से हुई थीं सस्पेंड
महुआ के खिलाफ शिकायतों और जांच के आधार पर 8 दिसंबर 2023 को उन्हें लोकसभा से सस्पेंड कर दिया गया था। संसद ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की थी। यह भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ उदाहरण बना, जब किसी सांसद को ‘कैश फॉर क्वेरी’ जैसे गंभीर आरोप में सस्पेंड किया गया। हालांकि, राजनीतिक नुकसान के बावजूद, महुआ मोइत्रा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से जीत दर्ज की। यह उनकी लगातार दूसरी जीत रही। इससे यह स्पष्ट हुआ कि स्थानीय मतदाताओं ने उन्हें समर्थन दिया, हालांकि मामला अब भी CBI और लोकपाल के स्तर पर जांच में बना हुआ है।
लोकपाल की अगली कार्रवाई पर टिकी निगाहें
अब जबकि CBI ने अपनी रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी है, राजनीतिक और कानूनी हलकों में इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि लोकपाल अगला कदम क्या उठाएगा। अगर रिपोर्ट में दोष साबित होते हैं, तो महुआ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई संभव है। वहीं अगर उन्हें क्लीन चिट मिलती है, तो यह मामला पूरी तरह से पलट सकता है। इस केस का निष्कर्ष आने वाले दिनों में तृणमूल कांग्रेस की साख, विपक्ष की रणनीति और संसदीय राजनीति पर असर डाल सकता है।
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