Makar Sankranti 2025 न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस दिन से जुड़ी कई परंपराएँ और धार्मिक कार्य पुण्य की प्राप्ति के लिए किए जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है, जिसमें गंगा प्रमुख है। इस दिन स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है, साथ ही सूर्य देव को जल अर्पित करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।मकर संक्रांति न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह दिन खुशियों, रिश्तों में मिठास और ऊर्जा का प्रतीक है, और हर कोई इसे अपने परिवार और मित्रों के साथ धूमधाम से मनाता है।

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2025 में कब है मकर संक्रांति?
ज्योतिषीय के अनुसार, 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी, और यह दिन ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करते हैं, जो उत्तरी गोलार्ध के लिए शुभ संकेत माना जाता है। इस दिन से सूर्य की उत्तरायण यात्रा शुरू होती है, जो धर्म, पुण्य और समृद्धि का प्रतीक है।

मकर संक्रांति पर क्या होता है खास?
यह त्योहार हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है, और इस दिन से सूर्य की उत्तरायण यात्रा का आरंभ होता है, जो शुभ माना जाता है।मकर संक्रांति का महत्व विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा, पवित्र नदियों में स्नान, तर्पण, दान और खिचड़ी के सेवन से जुड़ा है। इस दिन को शुभ अवसर के रूप में मनाने की परंपरा है, और यह पर्व विशेष रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।

मकर संक्रांति 2025 का महत्व
पवित्र नदियों में स्नान: मकर संक्रांति के दिन लोग गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, जिससे उनके पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। खासकर प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान यह दिन अत्यधिक महत्व रखता है। इस दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान आयोजित किया जाएगा, जो महाकुंभ मेले का एक प्रमुख आयोजन होगा। यह स्नान खासकर तीर्थयात्रियों के लिए बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
दान और तर्पण: मकर संक्रांति के दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण करते हैं और गुड़, तिल, खिचड़ी, गर्म कपड़े आदि का दान करते हैं। यह दान पितृ, देव और ऋषि ऋण से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह कार्य खासकर पितृ दोष को निवारण और आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है।

खिचड़ी और उत्तरायणी: मकर संक्रांति को खिचड़ी और उत्तरायणी के नाम से भी जाना जाता है। उत्तरायण का अर्थ है सूर्य का उत्तर दिशा की ओर आना, जो ऊर्जा और उजाले का प्रतीक होता है। खिचड़ी का सेवन इस दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि यह तिल और गुड़ के साथ पकाई जाती है, जो शीतकाल में पोषक और ऊर्जा देने वाली होती है।
सूर्य देव की पूजा: इस दिन सूर्य देव की पूजा विशेष रूप से की जाती है, ताकि जीवन में शुभता और समृद्धि का आगमन हो सके। इसके अलावा, इस दिन तिल और गुड़ का महत्व भी अत्यधिक है। तिल और गुड़ के सेवन से शरीर को ठंडक मिलती है और यह सेहत के लिए लाभकारी होता है।
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सूर्य क्यों करता है मकर राशि में प्रवेश?
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का अर्थ है कि वह अपनी उन्नति के मार्ग पर होते हैं। मकर राशि पृथ्वी तत्व की राशि है, जो स्थिरता, मेहनत और समृद्धि का प्रतीक है। यह समय धन, संपत्ति और विकास के लिए शुभ होता है।मकर संक्रांति के दिन सूर्य की उत्तरायण यात्रा का आरंभ होता है, जिसे ज्योतिष में शुभ माना जाता है। इस दिन से सूर्य का प्रभाव अधिक सकारात्मक होता है और यह समय नई शुरुआत और आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयुक्त होता है।

