Malegaon Blast Case:मालेगांव ब्लास्ट मामले में गुरुवार को मुंबई की एक विशेष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इनमें बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहगिरकर, समीर कुलकर्णी, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल थे।इस फैसले के बाद जहां विपक्ष ने सवाल उठाए, वहीं मामले में एक गवाह ने चौंकाने वाला बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। गवाह मिलिंद जोशी ने दावा किया है कि उन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और RSS प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया था।
गवाह मिलिंद जोशी का बयान
मालगांव ब्लास्ट केस के सरकारी गवाह रहे मिलिंद जोशी ने बताया कि उन्हें कई दिनों तक हिरासत में रखा गया और मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना दी गई, ताकि वे योगी आदित्यनाथ और अन्य दक्षिणपंथी नेताओं का नाम इस मामले में लें।गवाह ने खुलासा किया कि यह सब “भगवा आतंकवाद” के नैरेटिव को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार की मंशा हिंदुत्व की राजनीति को खत्म करने की थी।
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जांच अधिकारी महबूब मुजावर का आरोप
इस केस से जुड़े एक पूर्व जांच अधिकारी महबूब मुजावर ने भी इस बात की पुष्टि की कि जांच की दिशा शुरू से ही पूर्व निर्धारित थी। उन्होंने कहा कि “सरकार की कोशिश यह थी कि भगवा संगठनों को कटघरे में खड़ा किया जाए और हिंदुत्व से जुड़ी विचारधारा को बदनाम किया जाए।”मुजावर के अनुसार, गवाहों पर गढ़े हुए बयान दिलवाने का दबाव था और इससे केस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं।
“आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता”
- मालेगांव विस्फोट केस में अदालत ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। फैसले के दौरान अदालत ने कहा,
- “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता।”
- कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच एजेंसियां मामले में पुख्ता सबूत पेश करने में असफल रहीं। अदालत ने कहा कि,
- “सिर्फ कहानियों या अनुमान के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।”