Malegaon Blast: करीब 17 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। इस फैसले में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत अन्य आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया गया। अदालत ने कहा कि केवल संदेह के आधार पर आरोप तय करना संभव नहीं है और प्रस्तुत सबूत उचित नहीं थे। विशेष एनआईए अदालत ने फैसले में कहा कि मामले में पेश किए गए सबूतों की विश्वसनीयता और मजबूती पर सवाल उठते हैं। इसी आधार पर सभी आरोपियों को बरी करते हुए यह स्पष्ट किया गया कि बिना ठोस साक्ष्यों के आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर कड़ा हमला किया
फैसले के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कांग्रेस को देशवासियों, खासकर हिंदुओं से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की अपील की। योगी ने कहा कि कांग्रेस ने हिंदुओं को फंसाने की साजिश रची और उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए।
योगी ने कांग्रेस को देशविरोधी करार दिया
योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि मालेगांव विस्फोट मामले में सत्य की जीत हुई है और इस फैसले ने कांग्रेस के भारत-विरोधी और सनातन धर्म विरोधी रवैये को एक बार फिर उजागर कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस लगातार सनातन धर्म के अनुयायियों, संतों और राष्ट्रसेवकों की छवि धूमिल करने का प्रयास करती रही है।
मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी और बरी का फैसला
इस मामले के सात मुख्य आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल थे। उचित सबूतों के अभाव में अदालत ने सभी को बरी कर दिया।
मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपियों की बरीगी ने देश की न्यायपालिका की निष्पक्षता को सामने रखा है। हालांकि इस फैसले के बाद राजनीतिक विवाद बढ़ गया है, जहां भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले ने देश में धर्म और राजनीति के बीच चल रही बहस को एक नया आयाम दिया है।
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