PM Modi Address To Nation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया राष्ट्र के नाम संबोधन में घोषित “GST बचत उत्सव” को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए लिखा, “900 चूहे खाकर, बिल्ली हज को चली।” खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी पर जनता को धोखा देने और ‘गब्बर सिंह टैक्स’ के नाम पर अत्यधिक कर वसूली का आरोप लगाया।
खड़गे ने क्या कहा?
खड़गे ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:“नरेंद्र मोदी जी, आपकी सरकार ने कांग्रेस के सरल और कुशल GST के बजाय, अलग-अलग 9 स्लैब से वसूली कर “गब्बर सिंह टैक्स” लगाया और 8 साल में ₹55 लाख करोड़ से ज़्यादा वसूले। अब आप ₹2.5 लाख करोड़ के ‘बचत उत्सव’ की बात करके जनता को गहरे घाव देने के बाद मामूली बैंड-ऐड लगाने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह महज दिखावा है और जनता इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि किस तरह जरूरी वस्तुओं पर भी GST लगाया गया।
“दाल-चावल से लेकर पेंसिल-किताब तक टैक्स”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार ने आम आदमी की जरूरी वस्तुओं जैसे दाल, चावल, अनाज, पेंसिल, किताबें, इलाज, और यहां तक कि किसानों के ट्रैक्टर तक पर टैक्स लगाया। उन्होंने पूछा कि जब जरूरी वस्तुएं भी टैक्स के दायरे में लाई गई थीं, तब आम जनता की जेब पर जो बोझ पड़ा, उसकी भरपाई आज के तथाकथित ‘बचत उत्सव’ से कैसे हो सकती है?
“जनता से माफी मांगें प्रधानमंत्री”
खड़गे ने प्रधानमंत्री से सीधी मांग करते हुए कहा “आपको ‘बचत उत्सव’ की घोषणा करने के बजाय जनता से माफी मांगनी चाहिए। आपने उनकी जेब खाली की, और अब दिखावे की घोषणाएं कर रहे हैं।”उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार की इस योजना का उद्देश्य चुनावी लाभ उठाना है, न कि वास्तव में राहत देना।
कांग्रेस बनाम भाजपा: GST पर पुराना विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस ने केंद्र की GST प्रणाली को लेकर आलोचना की हो। कांग्रेस लंबे समय से मौजूदा जीएसटी ढांचे को कंफ्यूजिंग और आमजन विरोधी बताती आई है। राहुल गांधी भी इसे “गब्बर सिंह टैक्स” करार दे चुके हैं। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार के समय प्रस्तावित GST एक सरल, एकसमान और व्यापक कर प्रणाली थी, जिसे भाजपा सरकार ने जटिल बनाकर जनता पर बोझ बढ़ा दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ‘GST बचत उत्सव’ को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सरकार की मंशा और नीतियों पर तीखा सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है कि यह घोषणा एक “चुनावी स्टंट” है और जनता की तकलीफों पर “बैंड-ऐड” लगाने की कोशिश है। आने वाले चुनावों में यह मुद्दा विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है।
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