Mamata Banerjee : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर बंगालियों के प्रति दूसरे राज्यों में हो रहे उत्पीड़न को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। विधानसभा चुनावों से पहले ममता ने साफ कर दिया है कि वे भाजपा को एक इंच भी जमीन नहीं देने वालीं। जलपाईगुड़ी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,“बंगाली लोग ही बंगाल चलाएंगे, दिल्ली के लोग नहीं।”
बंगाली भाषा और सांस्कृतिक उत्पीड़न का मुद्दा
ममता बनर्जी ने बंगाली भाषा और संस्कृति को लेकर अपने गुस्से का इजहार किया और कहा कि बंगाल के बाहर जाकर काम करने वाले बंगाली श्रमिकों को भाषा के आधार पर उत्पीड़न झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा“जो श्रमिक बाहर जाते हैं, उन्हें सिर्फ इसलिए उत्पीड़न सहना पड़ता है क्योंकि वे बंगाली में बोलते हैं। मैं कहती हूं, बंगाली में अधिक बोलो और देखो कि कौन किस हिम्मत से उत्पीड़न करता है।”
ममता ने आरोप लगाया कि असम से लेकर उत्तर बंगाल के जिलों अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी और कूचबिहार के बंगाली लोगों को नोटिस भेजकर बांग्लादेश की ओर धकेला जा रहा है। साथ ही आदिवासी लड़कियों के साथ भी दुर्व्यवहार हो रहा है। उन्होंने कहा“आप बंगाल को नियंत्रित नहीं कर सकते। बंगाली लोग बंगाल चलाएंगे।”
स्वास्थ्य साथी योजना में समानता का दावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की आयुष्मान योजना में भेदभाव किया जा रहा है, लेकिन उनकी सरकार की स्वास्थ्य साथी योजना में सभी को बराबर लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार पहले ही 24,000 प्रवासी मजदूर परिवारों को वापस ला चुकी है और उन्हें स्वास्थ्य साथी कार्ड का लाभ दिया जा रहा है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और बंगाली गौरव का स्मरण
अपने भाषण में ममता ने देश के महान नेताओं नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर और खुदीराम बोस को याद करते हुए कहा कि “देश का नेता वही होता है जो देश को समझता है, जाति-धर्म के आधार पर बांटने वाला नेता देश का नेता नहीं हो सकता। हम हार नहीं मानेंगे, अपना सिर झुकाएंगे नहीं।”
नेपाल में अशांति पर ममता का संदेश
नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के विरोध में हाल ही में हुई हिंसा और अशांति के बीच ममता बनर्जी ने वहां फंसे बंगाली पर्यटकों के लिए चिंता जताई। उन्होंने कहा “जैसे ही मुझे नेपाल में स्थिति की जानकारी मिली, मैंने स्थिति पर नजर रखनी शुरू कर दी। कई पर्यटक वहां फंसे हैं, मैं उन्हें धीरे-धीरे वापस लाऊंगी।”
ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव से पहले बंगाली पहचान और हितों को प्रमुख चुनावी मुद्दा बना लिया है। उनके निशाने पर केंद्र सरकार की नीतियां और विदेशों में फैले बंगाली उत्पीड़न के आरोप हैं। बंगाली भावनाओं को साधने और राजनीतिक समर्थन जुटाने के लिए ममता की यह रणनीति आगामी चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

