Margashirsha Month 2025: मार्गशीर्ष में दीपदान क्यों है खास? जानिए शुभ स्थान और लाभ

Aanchal Singh
Margashirsha Month
6 नवंबर से शुरू मार्गशीर्ष माह

Margashirsha Month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, 6 नवंबर 2025, गुरुवार से मार्गशीर्ष मास की शुरुआत हो रही है। यह महीना कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है और हिंदू कैलेंडर का नौवां महीना माना जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है—“मासानां मार्गशीर्षोऽहम्”, अर्थात् महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इस वचन से इस माह की धार्मिक महत्ता स्पष्ट होती है।

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जप और दान का विशेष महत्व

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, मार्गशीर्ष माह को भगवान श्रीकृष्ण की आराधना, जप, तप और दान के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दौरान दीपदान का विशेष विधान है। मान्यता है कि इस महीने में किए गए पुण्य कार्यों से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।

भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा पाने का श्रेष्ठ समय

बताते चले कि, मार्गशीर्ष माह में दीपदान करने से भगवान विष्ण और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। दीपक अंधकार को दूर कर प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। शास्त्रों के अनुसार, सही स्थानों पर दीपक जलाने से वास्तु दोष, नकारात्मक ऊर्जा और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

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इन पवित्र स्थानों पर करें दीपदान

तुलसी के पास दीपक जलाएं

तुलसी को हरिप्रिया कहा गया है और यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। मार्गशीर्ष माह में शाम के समय तुलसी के पौधे के पास शुद्ध घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे धन-धान्य की वृद्धि होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

मुख्य द्वार पर दीपक लगाएं

घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। यह उपाय नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और आर्थिक समृद्धि लाता है।

पीपल के वृक्ष के नीचे दीपदान करें

पीपल को देवताओं और पितरों का वास माना गया है। मार्गशीर्ष माह में पीपल के नीचे दीपक जलाने से पितृ दोष शांत होता है और भाग्य प्रबल होता है।

मंदिर में दीपक जलाएं

भगवान श्रीकृष्ण या विष्णु के मंदिर में दीपदान करने से *सभी पापों का नाश होता है। यह मोक्षदायी माना गया है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

Disclaimer: यह लेख धार्मिक मान्यताओं, पंचांग, प्रवचनों और ग्रंथों पर आधारित है। इसमें बताए गए उपायों को अंतिम सत्य न मानें। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक क्रिया को अपनाने से पहले स्वविवेक और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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