Mark Zuckerberg: अमेरिकी टेक दिग्गज मेटा (Meta) इन दिनों एक अजीबोगरीब मामले में फंसी हुई है। वजह यह है कि कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग पर मुकदमा किया है किसी और ने, जिनका नाम भी संयोग से मार्क जुकरबर्ग ही है। दरअसल, यह मामला एक वकील से जुड़ा है, जिनका पूरा नाम है मार्क स्टीवन जुकरबर्ग। उन्होंने आरोप लगाया है कि मेटा उनकी पहचान को गलत मानते हुए लगातार उनके प्रोफेशनल पेज को डिलीट कर रही है।
Read more: Red Fort Theft: लाल किले से चोरी हुआ हीरा-जड़ा सोने का कलश, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर
दो जुकरबर्ग के बीच विवाद
यह मामला असल में मार्क स्टीवन जुकरबर्ग (वकील) और मार्क इलियट जुकरबर्ग (मेटा के सीईओ) के नाम के टकराव से जुड़ा है। वकील मार्क स्टीवन जुकरबर्ग ने इंडियानापॉलिस के मारियन सुपीरियर कोर्ट में मेटा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। उनका कहना है कि कंपनी ने पिछले आठ सालों में कई बार उनके कमर्शियल पेज को बंद किया है।
वकील का आरोप है कि मेटा हर बार यही कारण बताती है कि वह सीईओ मार्क जुकरबर्ग के नाम की नकल कर रहे हैं। इस फैसले से न केवल उनका काम प्रभावित हुआ है बल्कि उन्हें भारी आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा है।
बार-बार पेज डिलीट होने से नुकसान

वकील के अनुसार, 2015 से अब तक मेटा ने कम से कम पांच बार उनका पेज डिलीट किया है। हर बार जब पेज हटाया जाता है, उनका काम रुक जाता है और ग्राहकों से संपर्क करने में मुश्किल आती है।
वकील का कहना है कि उन्होंने अपने लीगल सर्विसेज को प्रमोट करने के लिए फेसबुक पर विज्ञापन दिए थे। इन विज्ञापनों पर उन्होंने लगभग 10 लाख रुपये तक खर्च किए। लेकिन जैसे ही उनका अकाउंट बंद होता, विज्ञापन पर लगाया गया पैसा बिना किसी फायदा दिए खर्च हो जाता।
वकील की शिकायत
मार्क स्टीवन जुकरबर्ग का कहना है कि वे 2017 से लगातार मेटा से संपर्क कर रहे हैं। लेकिन कंपनी ने कभी उनकी समस्या का सही समाधान नहीं दिया। उनका आरोप है कि कंपनी की लापरवाही के कारण उनका व्यवसाय प्रभावित हुआ और उनकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा।
वकील ने अदालत से मांग की है कि मेटा को न केवल उनकी आर्थिक हानि की भरपाई करनी चाहिए, बल्कि लीगल फीस और मानसिक परेशानियों का भी मुआवजा देना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कंपनी से सार्वजनिक माफी की भी मांग की है।
मेटा की सफाई

इस मामले पर मेटा ने अपनी गलती स्वीकार की है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि वकील का अकाउंट गलती से सस्पेंड हो गया था, जिसे अब रिस्टोर कर दिया गया है। प्रवक्ता ने यह भी भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसी गलती न हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
हालांकि, वकील इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि केवल अकाउंट बहाल करना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि उन्हें पिछले कई सालों में आर्थिक और पेशेवर दोनों तरह से नुकसान उठाना पड़ा है।
क्यों है यह मामला खास?

यह केस इसलिए अनोखा है क्योंकि इसमें एक ही नाम के दो लोग आमने-सामने खड़े हैं। जहां एक ओर मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग पूरी दुनिया में मशहूर हैं, वहीं दूसरी ओर उसी नाम के एक वकील अपने अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
यह मामला सोशल मीडिया कंपनियों की ऑटोमैटिक सिस्टम और नाम से जुड़े नियमों पर भी सवाल उठाता है। अगर किसी का नाम संयोग से किसी मशहूर व्यक्ति से मिलता है, तो क्या उसका अकाउंट लगातार डिलीट किया जा सकता है?

