Masaan Holi 2025: भस्म और गुलाल का अनोखा संगम, कैसे शुरू हुई मसान होली की अनोखी परंपरा?

काशी में यह होली विशेष रूप से मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर खेली जाती है, जो कि शमशान घाट के रूप में प्रसिद्ध हैं।

Shilpi Jaiswal

काशी, भगवान शिव की नगरी, जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का अनूठा संगम देखने को मिलता है, वहीं यहाँ की मसान होली अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है। यह होली न केवल रंगों और खुशियों का उत्सव है, बल्कि यह मृत्यु, मोक्ष और शिव भक्ति से जुड़ी एक अद्वितीय परंपरा है। काशी में यह होली विशेष रूप से मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर खेली जाती है, जो कि शमशान घाट के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह होली मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को दर्शाती है और जीवन की नश्वरता के साथ-साथ आत्मा की अमरता का संदेश देती है।

Read More:Mahashivaratri 2025: महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती के मिलन की कथा, वैवाहिक जीवन में होगा सुख-शांति का आगमन

मसान होली की अनोखी परम्परा

मसान होली के खेल में विशेष रूप से अघोरी संप्रदाय के साधु शामिल होते हैं, जो चिता की राख (भस्म) का उपयोग करते हैं और उसे अपने शरीर पर लगा कर होली खेलते हैं। उनका मानना है कि जीवन और मृत्यु का कोई भेद नहीं है, और मृत्यु भी शिव के भक्तों के लिए एक उत्सव का रूप है। यही कारण है कि यह होली शमशान घाट पर मनाई जाती है, जहां मृत्यु और मोक्ष दोनों की प्रतीकात्मकता होती है।

Read More:Mahashivaratri 2025: 12 अनूठे पिलर,जहाँ सूर्य की किरणों से शिवलिंग पर होता है अद्भुत अभिषेक

रंगभरी एकादशी

इस साल काशी में मसान होली 11 मार्च 2025 को खेली जाएगी। यह होली रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद मनाई जाती है, जो इस साल 10 मार्च को है। काशी में मसान होली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहाँ भक्त और साधु मिलकर भस्म, गुलाल और रंगों के साथ शिव के भजनों और तांडव नृत्य के साथ उत्सव मनाते हैं। मणिकर्णिका घाट, जो पवित्रता का प्रतीक है और जहां भगवान शिव मृतकों को मोक्ष प्रदान करते हैं, मसान होली का मुख्य स्थल होता है।

Read More:Maha Shivratri 2025 Puja Vidhi: महाशिवरात्रि पर जानें मुहूर्त, मंत्र, पूजा सामग्री, विधि, जलाभिषेक समय

रंग और भस्म का संगम

मसान होली का आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह मृत्यु पर विजय प्राप्त करने और जीवन के वास्तविक उद्देश्य को पहचानने का एक संदेश भी है। यह पर्व जीवन के क्षणभंगुरता और आत्मा के अमरत्व को मान्यता देने का अवसर प्रदान करता है। रंग और भस्म का संगम इस होली को न केवल रंगीन बनाता है, बल्कि इसके साथ जुड़ी गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं भी इसे और अधिक अद्वितीय बना देती हैं।

Share This Article

अपना शहर चुनें

Exit mobile version