Mau Upchunav: पूर्वांचल की सबसे चर्चित मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार चर्चा माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के परिवार के बजाय उनके कट्टर प्रतिद्वंदी, बाहुबली बृजेश सिंह के इर्द-गिर्द हो रही है। राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस बार बृजेश सिंह या उनके करीबी मऊ सदर सीट पर उतर सकते हैं, जिससे चुनावी माहौल गर्म हो गया है।
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ओम प्रकाश राजभर का बयान
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने बाहुबली बृजेश सिंह के साथ अपने अच्छे संबंधों का जिक्र किया। इसके बाद से मऊ सदर विधानसभा सीट पर बृजेश सिंह की एंट्री को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि अगर बृजेश सिंह खुद इस सीट पर नहीं उतरते, तो वे अपने किसी करीबी को चुनावी मैदान में उतार सकते हैं।
अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द होने से खाली हुई मऊ सदर सीट
आपको बता दे कि, मऊ सदर विधानसभा सीट पहले माफिया और राजनेता बने मुख्तार अंसारी के प्रभाव क्षेत्र में रही है। साल 2022 में मुख्तार अंसारी ने इस सीट से अपने बेटे अब्बास अंसारी को चुनावी मैदान में उतारा था और सुभासपा-सपा गठबंधन के तहत उनकी जीत हुई थी। लेकिन अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द हो जाने के बाद यह सीट अब खाली हो गई है। इस सीट के खाली होने के बाद से ही सियासी खेमे सक्रिय हो गए हैं।
बृजेश सिंह और ओम प्रकाश राजभर के बीच सियासी टकराव
बताते चले कि, अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द होने के बाद मऊ सदर सीट को लेकर नए सियासी समीकरण बन रहे हैं। एक तरफ ओम प्रकाश राजभर इस सीट से अपने उम्मीदवार को उतारने की इच्छा जता चुके हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी भी इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना बना रही है। इसका मतलब यह है कि इस बार मऊ सदर सीट पर मुकाबला तगड़ा हो सकता है, क्योंकि सभी प्रमुख पार्टियाँ और नेता इस सीट पर अपनी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं।
मऊ सदर सीट का जातीय गणित
मऊ सदर विधानसभा सीट को मुस्लिम बहुल्य माना जाता है, जहाँ कुल 4,42,251 मतदाता हैं। इनमें से करीब 1.6 लाख मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 85 हजार दलित, 47 हजार राजपूत, 44 हजार राजभर, 42 हजार चौहान और नोनिया जातियों के लोग हैं। अगर बृजेश सिंह को राजपूत, राजभर और नोनिया या चौहान जातियों का समर्थन मिलता है, तो यह वोट बैंक मुख्तार अंसारी के गुट के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
मऊ सदर की सियासत में बड़ा बदलाव
मऊ सदर विधानसभा सीट पूर्वांचल की सबसे प्रभावशाली सीटों में से एक रही है, अब एक बार फिर से चुनावी सरगर्मियों का केंद्र बन गई है। 1996 से 2017 तक इस सीट पर मुख्तार अंसारी का दबदबा रहा था। हालांकि अब मुख्तार अंसारी की मौत और बेटे अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द हो जाने के बाद मऊ सदर सीट पर एक नया सियासी शख्सियत उभरने की संभावना है। बृजेश सिंह, जो कि मुख्तार अंसारी के कट्टर प्रतिद्वंदी रहे हैं, अब इस सीट पर अपनी ताकत लगाने की पूरी तैयारी कर रहे हैं।
मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के बाद से राजनीतिक माहौल में उबाल आ गया है। बृजेश सिंह की एंट्री को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं और ओम प्रकाश राजभर का बयान इस सियासी घटनाक्रम को और रोमांचक बना रहा है। जातीय गणित और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए इस सीट पर मुकाबला बेहद तगड़ा हो सकता है, जो पूर्वांचल की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।

