मायावती एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) और भारतीय राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की संस्थापक और नेता के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 15 जनवरी 1956 को उत्तर प्रदेश के दिल्ली के निकट एक छोटे से गांव में हुआ था। वे दलितों, पिछड़ों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों की अधिकारों के लिए आवाज़ उठाती हैं। मायावती ने भारतीय राजनीति में अपनी विशेष पहचान बनाई, खासकर उत्तर प्रदेश में जहां उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर कई बार कार्य किया।
राजनीतिक करियर
मायावती का राजनीति में सफ़र बहुत ही दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण रहा है। उनका राजनीतिक करियर दलितों, पिछड़ों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों की आवाज़ उठाने के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहाँ उनके राजनीति सफ़र के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं…..
शुरुआत और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना

मायावती का राजनीति में आगमन 1984 में हुआ, जब उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सदस्यता ली। BSP की स्थापना का उद्देश्य दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और शोषित समाज की आवाज़ को मजबूती से उठाना था। मायावती ने इस पार्टी को मजबूत किया और इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने का काम किया।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर से प्रेरणा
मायावती ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा से प्रेरित होकर अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत की। उनका मुख्य उद्देश्य अंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना और दलित समुदाय को उनके अधिकार दिलवाना था।
पहली बार मुख्यमंत्री बनना (1995)
मायावती ने पहली बार 1995 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वे उत्तर प्रदेश की पहली दलित मुख्यमंत्री बनीं, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। उनका यह कार्यकाल काफ़ी महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने दलितों के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं और राज्य में कई विकास कार्य किए। इसी दौरान, उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अंबेडकर, कांशीराम और अन्य दलित नेताओं की मूर्तियाँ स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए।
दलित राजनीति की नायिका
मायावती ने दलित वोट बैंक को मजबूत किया और BSP को एक राष्ट्रीय दल के रूप में स्थापित किया। उन्होंने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में BSP की जनाधार को व्यापक किया, और राज्य में दलितों के उत्थान के लिए कई योजनाएँ बनाई। इसके परिणामस्वरूप BSP ने कई चुनावों में सफलता प्राप्त की।
विधानसभा चुनावों में सफलता

2007 में, मायावती ने BSP को यूपी विधानसभा चुनावों में भारी जीत दिलवाई। उनकी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाई। इस चुनाव में BSP ने समाजवादी पार्टी (SP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पछाड़ते हुए 2007 के चुनावों में शानदार सफलता हासिल की। यह मायावती के लिए राजनीतिक सफ़र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
स्मारक और मूर्तियों का निर्माण
मायावती के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, कांशीराम, और अन्य दलित नेताओं की मूर्तियाँ और स्मारक बनाए गए। इसके लिए उन्होंने राज्य की सरकारी खजाने से बहुत बड़ी रकम खर्च की, जिसे लेकर विपक्ष और मीडिया ने उनकी आलोचना की। हालांकि, मायावती का तर्क था कि ये स्मारक दलितों को सम्मान और पहचान देने के लिए थे।
समाजवादी और भाजपा के साथ गठबंधन
मायावती ने कई बार समाजवादी पार्टी (SP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन किया। कभी वे इन दोनों दलों के विरोधी रही हैं, तो कभी इन दलों के साथ गठबंधन भी किया है, खासकर चुनावी रणनीति के तहत। उनका यह राजनीतिक दृष्टिकोण समय-समय पर बदलता रहा है।
बिगड़ते राजनीतिक हालात और आलोचनाएँ

मायावती की राजनीति को लेकर समय-समय पर आलोचनाएँ होती रही हैं। विशेष रूप से उनके द्वारा बनाए गए स्मारक और मूर्तियों के खर्च को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इसके अलावा, उनके शासन में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। लेकिन मायावती ने हमेशा अपनी राजनीति को दलितों और पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा के रूप में पेश किया है।
आधुनिक राजनीति में स्थान
मायावती की पार्टी BSP आज भी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्ति है। हालांकि 2012 और 2017 में उन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी पार्टी अब भी अपने विचारधारा और दलित समुदाय के समर्थन के लिए जानी जाती है।
समाज के प्रति योगदान
मायावती ने हमेशा दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए काम किया। उनका राजनीतिक सफ़र इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि उन्होंने भारतीय राजनीति में एक नई दिशा दी, जो सामाजिक न्याय और समानता की ओर थी।

