Middle East Tensions: मध्य-पूर्व में पहली बार आयकर कानून लागू करेगा ओमान, ईरान-इजरायल तनाव के बीच ऐतिहासिक फैसला

Neha Mishra
Middle East Tensions
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Middle East Tensions: मध्य पूर्व मिडिल ईस्ट इस समय गंभीर तनाव की स्थिति से गुजर रहा है। ईरान और इजरायल के बीच लगातार बढ़ते टकराव के बीच हाल ही में इजरायल ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले किए। इसके बाद अमेरिका ने भी इस संघर्ष में हस्तक्षेप किया, जिससे हालात और बिगड़ गए। इसके जवाब में ईरान ने अमेरिकी एयरबेस और इजरायल पर पलटवार किया है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक ऐसा कदम सामने आया है जो मिडिल ईस्ट के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया।

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ईरान के पड़ोसी ओमान का ऐतिहासिक ऐलान

बताते चले कि, इन हालातों के बीच ईरान के पड़ोसी देश ओमान ने ऐसा फैसला लिया है जो न केवल देश की आर्थिक दिशा को बदल सकता है, बल्कि मिडिल ईस्ट की आर्थिक नीतियों में भी एक नई शुरुआत का संकेत है। ओमान ने आयकर कानून (Income Tax Law) लागू करने का ऐलान किया है। यह फैसला उसे मध्य पूर्व का ऐसा पहला देश बना देगा जिसने नागरिकों की आय पर टैक्स लगाने का निर्णय लिया है।

ओमान का फैसला: आर्थिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम

ओमान के इकोनॉमी मिनिस्टर सईद बिन मोहम्मद अल सकरी ने बताया कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य सामाजिक खर्चों की रक्षा करते हुए देश की अर्थव्यवस्था को तेल आधारित निर्भरता से धीरे-धीरे मुक्त कराना है। इस टैक्स प्रणाली को केवल उच्च आय वर्ग पर लागू किया जाएगा, जिससे देश के गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा।

सूत्रों के अनुसार, यह नया आयकर नियम उन लोगों पर लागू होगा जिनकी सालाना आय 42,000 रियाल (लगभग 1,09,000 अमेरिकी डॉलर) या उससे अधिक है। इसका असर मुख्यतः देश के शीर्ष 1% अमीर नागरिकों पर पड़ेगा।

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क्षेत्रीय प्रभाव और भविष्य की दिशा

अबू धाबी कॉमर्शियल बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री मोनिका मलिक का कहना है कि भले ही यह नीति फिलहाल सीमित दायरे में है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुधार के रूप में देखा जा रहा है। मोनिका के मुताबिक, ओमान का यह कदम भविष्य में GCC (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल) के अन्य देशों के लिए भी इनकम टैक्स लागू करने की दिशा में मिसाल बन सकता है।

उल्लेखनीय है कि जीसीसी के अंतर्गत आने वाले सऊदी अरब, कुवैत, यूएई, बहरीन, कतर और ओमान में फिलहाल किसी भी देश ने आम नागरिकों की आय पर टैक्स नहीं लगाया है। यही कारण है कि ये देश उच्च वेतन और टैक्स फ्री सुविधा के चलते दुनिया भर के कामगारों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

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